शिंदे का बेटा सांसद है, क्या मेरे बेटे को आगे नहीं बढ़ना चाहिए: उद्धव

मुंबई। पार्टी में बगावत से जूझ रहे शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने शुक्रवार को जिला इकाई के प्रमुखों से बातचीत की। उन्हें भावुक संदेश दिया और कहा, कोई पेड़ के फूल फल और टहनी तो ले जा सकता है लेकिन जड़ें नहीं तोड़ सकता। शिवसैनिक हमारी आत्मा है। थोड़ी देर बाद शिंदे खेमे ने वीडियो संदेश जारी कर पलटवार किया। बागी नेता यशवंत जाधव की पत्नी यामिनी जाधव ने कहा, आप हमें परिवार मानते हैं पर जब मैं कैंसर से जूझ रही थी तो पार्टी नेतृत्व ने परवाह तक नहीं की। शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने पार्टी पदाधिकारियों से कहा, मुख्यमंत्री का आधिकारिक आवास खाली कर दिया है, लेकिन अपना इरादा नहीं छोड़ा है। हमारा दृढ़ संकल्प बरकरार है। बागी नेता एकनाथ शिंदे पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, उनका बेटा लोकसभा सांसद है, तो क्या मेरे बेटे आदित्य ठाकरे को राजनीतिक रूप से आगे नहीं बढ़ना चाहिए। एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे कल्याण से लोकसभा सांसद हैं, जबकि मुख्यमंत्री के बेटे आदित्य ठाकरे राज्य के कैबिनेट मंत्री हैं।
पार्टी की जिला इकाई के प्रमुखों को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए उद्धव ने कहा, मैंने एकनाथ शिंदे के लिए सब कुछ किया। उन्हें वह विभाग दिया जो मेरे पास था। उनका अपना बेटा आज सांसद है लेकिन मेरे बेटे के बारे में टिप्पणियां की जा रही हैं। मेरे खिलाफ बहुत सारे आरोप लगाए गए हैं। मैं सत्ता का लालची नहीं हूं। जो लोग कहते थे हम मर जाएंगे लेकिन शिवसेना को कभी नहीं छोड़ेंगे, आज भाग गए। बागी शिवसेना को तोड़ना चाहते हैं। अगर उनमें हिम्मत है तो उन्हें बालासाहेब और शिवसेना का नाम लिए बिना लोगों के बीच जाना चाहिए।
जड़ें नहीं ले जा सकते
शिवसेना प्रमुख ने कार्यकर्ताओं से कहा, आप पेड़ के फल-फूल लेते हैं, लेकिन जब तक जड़ें (पदाधिकारी और कार्यकर्ता) मजबूत हैं, तब तक मुझे चिंता करने की जरूरत नहीं है। जड़ें कभी नहीं उखड़ सकतीं। हर मौसम में नए पत्ते आते और फूल खिलते हैं। बीमार पत्तियों की तोड़कर फेंकने की जरूरत है। उन्होंने कहा, पहले भी पार्टी में विद्रोह होने के बावजूद शिवसेना दो बार सत्ता में आई। शिंदे की बगावत से शिवसेना पर असर नहीं पड़ेगा।
भाजपा पर निशाना
ठाकरे ने राजनीतिक संकट के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि शिंदे ने उन्हें कुछ समय पहले कहा था कि विधायकों को लगता है कि भाजपा के साथ वापस जाना चाहिए। आप किस तरह के शिवसैनिक हैं। क्या आप भाजपा की ‘उपयोग करो और फेंक दो’ की नीति व मातोश्री के खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगाने से आहत नहीं हैं। आपको ठाकरे का नाम अपनी राजनीति से बाहर रखना चाहिए।
शिंदे की बगावत
– 21 जून : एकनाथ शिंदे 14 शिवसेना विधायकों के साथ सूरत पहुंचे। सभी विधायक होटल ला मैरेडियन में रुके
– 22 जून : गुवाहाटी में बैठे शिंदे ने शिवसेना के चीफ व्हिप सुनील प्रभु को पद से हटा दिया
– 23 जून : बागी विधायकों ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को चिट्ठी लिखी। एक वीडियो में शिंदे ने इशारों में बताया कि उनके पीछे कौन सी महाशक्ति काम कर रही है।
उद्धव की मुश्किलें
– 21 जून : उद्धव ठाकरे ने शिवसेना विधायकों की बगावत को देखते हुए दो दूत को समझौते के लिए भेजा। शरद पवार ने कहा कि शिवसेना का यह आंतरिक मामला है।
– 22 जून : उद्धव ने मुख्यमंत्री आवास छोड़ा। फेसबुक लाइव कर कहा- शिंदे मेरे से बात करें, मैं मुख्यमंत्री पद और शिवसेना अध्यक्ष का पद भी छोड़ दूंगा।
– 23 जून : संजय राउत ने गठबंधन सेे अलग होने की बात कही

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