राज्यसभा चुनाव: पिछड़ों पर जोर, मुसलमानों को संदेश, भाजपा का टिकट गणित समझें

नई दिल्ली। राज्यसभा चुनावों के लिए उम्मीदवार तय करने में भाजपा ने सामाजिक समीकरणों को साधने पर खासा जोर दिया है। इसमें देश की आधी आबादी यानी महिलाओं को तो संदेश दिया ही गया है, पिछड़ा और दलित समुदाय पर भी जोर दिया गया है। पिछड़ा वर्ग में उन समुदायों को आगे लाया गया है, जिनका नेतृत्व कोई क्षेत्रीय दल विशेष नहीं कर रहा है। राज्यसभा चुनाव चूंकि विधानसभा में दलीय ताकत से तय होता है, इसलिए आमतौर पर इसमें लोकसभा और विधानसभा चुनाव की तरह सामाजिक समीकरणों पर ज्यादा जोर नहीं दिया जाता है, लेकिन भाजपा ने इस बार सामाजिक समीकरणों पर ज्यादा ध्यान देकर साफ कर दिया है कि उसकी भावी दिशा किस तरफ है। पार्टी ने अगड़ी जातियों के बजाय पिछड़ा व दलित समुदाय व इन वर्ग में भी महिलाओं पर ज्यादा जोर दिया है। पार्टी ने कुल 22 उम्मीदवारों में छह महिलाओं को टिकट दिया है।
मध्य प्रदेश में दोनों सीटों पर संगठन में काम कर रही महिलाओं को टिकट दिया है। इनमें भी एक दलित और एक ओबीसी समुदाय से है। उत्तराखंड में भी एकमात्र सीट से महिला को उतारा गया है। यूपी से दो व कर्नाटक से एक वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण उम्मीदवार हैं। महिलाओं में भी सामाजिक समीकरण ध्यान में रखे गए हैं। आधी महिला उम्मीदवार पिछड़ा वर्ग से हैं। अन्य उम्मीदवारों में पिछड़ों पर ज्यादा जोर दिया गया है। बिहार से लेकर मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र व कर्नाटक तक इस समुदाय को साधा गया है।
भाजपा पिछड़ा वर्ग में भी खासतौर पर पटेल समुदाय को साध रही है। अलग-अलग राज्य में यह अलग-अलग नामों से है, इसमें कुर्मी, किरार, पटेल, पाटीदार शामिल हैं। राज्यसभा टिकटों में भी इसका असर देखा जा सकता है। गुजरात में मजबूत माने जाने वाले पाटीदार समुदाय पर भी उसका खासा जोर है। भाजपा में शामिल हुए हार्दिक पटेल को भी पार्टी अब विधानसभा चुनाव में उतारेगी।
नकवी को रामपुर लोकसभा सीट से संसद लाने की रणनीति
कार्यकाल समाप्त हो रहे सदस्यों में भाजपा के दो मुस्लिम सांसद भी थे, लेकिन पार्टी ने इस बार एक भी मुसलमान उम्मीदवार को टिकट नहीं दिया है। सूत्रों की मानें तो पार्टी का मानना है कि वह केवल तुष्टिकरण के लिए टिकट नहीं देगी, बल्कि रणनीति के अनुसार ही टिकट तय करेगी, चाहे वह किसी भी स्तर का चुनाव हो। पार्टी की एक रणनीति यह भी है कि वह मुसलमान नेता को पिछले दरवाजे यानी राज्यसभा से लाने के बजाय लोकसभा में लाने पर जोर देगी।
विपक्ष के इन आरोपों को खारिज करेगी कि उसके मुसलमान नेता चुनाव नहीं जीत सकते हैं। इसी रणनीति के तहत केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी को राज्यसभा का टिकट नहीं दिया गया है, उन्हें लोकसभा के जरिये संसद में लाया जाएगा और वह भी मुस्लिम बहुल रामपुर सीट से। इसका भी अलग संदेश जाएगा।

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