नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने काले धन के खिलाफ बने कानून के अप्रैल 2016 से पहले के मामलों में लागू न होने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया है। पिछले 18 सितम्बर को जब सुप्रीम कोर्ट ने काला धन मामले में फंसे वकील गौतम खेतान पर आदेश सुरक्षित रखा था तभी इस बात का संकेत दिया था कि खेतान को राहत देने वाला दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश निरस्त हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट को निर्देश दिया कि वह गौतम खेतान की याचिका पर नए सिरे से सुनवाई करे।
दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि खेतान का मामला 1 अप्रैल 2016 से पहले का है। इसलिए काले धन के खिलाफ कानून लागू नहीं हो सकता। इस मामले में केंद्र सरकार ने दलील दी थी कि इसका हर मामलों पर बुरा असर होगा।
पिछले 21 मई को कोर्ट ने काले धन के खिलाफ बने कानून के अप्रैल 2016 से पहले के मामलों में लागू न होने के दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दिया था। दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी।
पिछले 16 मई को दिल्ली हाईकोर्ट ने इनकम टैक्स विभाग को निर्देश दिया था कि वो काले धन के मामले के आरोपी गौतम खेतान के खिलाफ अगले आदेश तक कोई भी निरोधात्मक कार्रवाई नहीं करे। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल की अध्यक्षता वाली बेंच ने इनकम टैक्स विभाग के 22 जनवरी को गौतम खेतान के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करने के आदेश पर रोक लगा दिया था।
गौतम खेतान ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर केंद्र सरकार के उस नोटिफिकेशन को चुनौती दी थी जिसमें अप्रैल 2016 में लागू काले धन से संबंधित कानून को जुलाई 2015 से लागू करने का आदेश दिया गया है। गौतम खेतान की ओर से वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा था कि जब काले धन का कानून ही अप्रैल 2016 में लागू हुआ तो उसे जुलाई 2015 से कैसे प्रभावी माना जा सकता है। उन्होंने कहा था कि उनके खिलाफ उनकी संपत्तियों को लेकर कार्रवाई की गई है जो काले धन के कानून आने के पहले लागू ही नहीं होता है। लूथरा ने कहा था कि इनकम टैक्स विभाग की ओर से जारी कारण बताओ नोटिस में टैक्स असेसमेंट किया जाना था। लेकिन असेसमेंट वर्ष 2019-20 के लिए कोई टैक्स असेसमेंट नहीं किया गया।