कोर्ट ने कहा – पहले बसाएं भी फिर हटाए

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने राजधानी से लगे छेरीखेड़ी गांव में निर्मित राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों की आवासीय कॉलोनी से लगे सरकारी जमीन पर काबिज डेढ़ सौ परिवारों को बेदखल करने के राज्य सरकार के आदेश पर रोक लगा दी है। साथ ही इन कब्जाधारियों का पहले व्यवस्थापन करने को कहा हैं।
जस्टिस आरसीएस सावंत की एकल पीठ ने प्रकरण की सुनवाई की। यह बताया गया कि रायपुर से लगे सेरीखेड़ी गांव में राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों की आवासीय कॉलोनी के लिए जमीन आबंटित की गई है। उक्त जमीन पर दस साल से अधिक समय से 148 परिवार मकान बनाकर रह रहे हैं। इनमें से 6 मकान प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने हैं। सरकारी जमीन पर काबिज उक्त लोगों को बेदखल करने के लिए प्रशासन द्वारा नोटिस जारी किया गया, 27 मई तक जमीन खाली करने के लिए नायब तहसीलदार ने नोटिस जारी किया था। इसके बाद प्रशासन द्वारा कब्जा हटाने की कार्रवाई की चेतावनी दी गई थी, इसके खिलाफ कब्जाधारियों ने पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत ठाकुर के माध्यम से जनहित याचिका दायर कर प्रशासन की कार्रवाई पर रोक लगाने का आग्रह किया।
याचिकाकतार्ओं की ओर से परैवी कर रहे पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कहा कि आवासीय प्रोजेक्ट के लिए आबंटित जमीन पर काबिज ये लोग दस साल से अधिक समय से वहां रह रहे है, वे जमीन छोडने से पहले विस्थापन चाहते हैं। यह कहा गया कि जमीन पर से कब्जा हटाने से पूर्व काबिज लोगों का विस्थापन किया जाए। कोर्ट ने संबंधित पक्षों की दलील सुनने के बाद कब्जा हटाने के आदेश पर रोक लगा दी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *