भोपाल। अटल बिहारी बाजपेई हिंदी विश्वविद्यालय को जारी रखा जाये अथवा बंद कर दिया जाये इसको लेकर राज्य सरकार ने एक कमेटी का गठन कर दिया है ।इस मे पूर्व मुख्य सचिव आर .परशुराम सहित छह सदस्यों को 15 दिन मे सरकार को रिपोर्ट देनी है । ज्ञात हो की विश्वविद्यालय के कुल खर्च का दो फीसदी भी फीस से नहीं आ रहा है । यही कारण है की एक के बाद कई कोर्स निरन्तर बंद कर दिए गए हैं ।इसपर राज्यपाल लालजी टंडन टंडन भी अफ़सोस जाता चुके हैं। जिसके चलते राज्य शासन की ऑंखें खुली है ।सफ़ेद हाथी को पालना कितना मॅहगा पड़ रहा है इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है की अपने मूल उद्देश्य से ही विश्वविद्यालय भटक चुका है और अपनी उपादेयता खो चुका है । जब देश मे एक मात्र केंद्रीय विश्वविद्यालय इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय मे 50 प्रतिशत की हिस्सेदारी निजी क्षेत्र को बेचने की सलाह दी जा रही हो उस दौर मे सरकारी हाथी पालने की आवश्य्कता प्रतीत नहीं होती ।