प्रचंड लू से लेकर भयावह बाढ़ तक के लिए आखिर कौन जिम्मेदार ?

नई दिल्ली। पिछले नौ दशक में धरती से लेकर समुद्र तक इंसानी दखल बेरोकटोक बढ़ने से मौसम का मिजाज बिगड़ा है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) की द स्टेट ऑफ द ग्लोबल क्लाइमेट- 2021 की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि प्रचंड लू से लेकर भयावह बाढ़ तक के लिए ऐसी गतिविधियां जिम्मेदार हैं। इससे जलवायु संकट गंभीर होता जा रहा है। डब्ल्यूएमओ के अनुसार इंसानी गतिविधियों के कारण मौसम, पृथ्वी, सागर और पर्यावरण को होने वाली क्षति ने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। बीते सात साल सबसे गर्म रहे हैं। हीट वेव (लू) ने उत्तरी अमेरिका और भूमघ्यसागरीय क्षेत्रों में लू ने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। कैलिफोर्निया की डेथ वैली में 9 जुलाई 2021 को तापमान 54.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। वर्ष 2020 में 16 अगस्त को भी तापमान 54.4 डिग्री सेल्सियस था। वर्ष 1930 के बाद ये सबसे अधिक बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसी तरह कोलंबिया में 29 जून को तापमान 49.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि तापमान में बढ़ोतरी के कारण दुनिया में बाढ़ और आगजनी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं।
जलवायु परिवर्तन और उसका प्रभाव

  1. ग्रीन हाउस गैस: डब्ल्यूएमओ के अनुसार ग्रीन हाउस गैसों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। वर्ष 2020 में वातावरण में ग्रीन हाउस गैसों की मौजूदगी 413.2 पीपीएम थी। औद्योगिकरण से पहले की तुलना में इसमें वर्ष 2021 में 149 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
  2. महासागर में गर्मी: वर्ष 2021 में महासागर के दो हजार मीटर तक गर्मी बढ़ी है। अनुमान है कि भविष्य में भी महासागर में इसी तरह गर्मी बढ़ती रहेगी। रिपोर्ट की मानें तो बीते दो दशक में महासागर में गर्मी तेजी के साथ बढ़ रही है। इस कारण महासागर में 2021 में लू भी चली है।
  3. बाढ़: जलवायु परिवर्तन से चीन के हेनान प्रांत में बाढ़ से 17.7 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। वहीं पश्चिमी यूरोप में जुलाई के मध्य में भयावह बाढ़ के कारण आर्थिक क्षति हुई है। जर्मनी में बाढ़ के कारण जर्मनी को इस दौरान 30 अरब डॉलर की क्षति हुई है। इंसानी जान को भी क्षति हुई है।
  4. विस्थापन: मौसमी खतरों को देखते हुए बड़े पैमाने पर विस्थापन भी हो रहा है। रिपोर्ट के अनुसार अक्तूबर 2021 तक चीन में 14 लाख, फिलीपींस में 3.86 लाख और वियतनाम में 6.64 लाख लोगों को मौसम के खतरों के कारण मजबूरी में विस्थापित होना पड़ा है।

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