नई दिल्ली
केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने रक्षा मंत्रालय को सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत ‘अग्निपथ’ सैन्य भर्ती योजना से संबंधित रिकॉर्ड का खुलासा करने से इनकार करने के फैसले पर दोबारा विचार करने का निर्देश दिया है। मंत्रालय ने इस आधार पर रिकॉर्ड साझा करने से इनकार कर दिया कि संबंधित फाइल ‘‘गोपनीय’’ हैं।
‘अग्निपथ’ योजना पर विचार-विमर्श के रिकॉर्ड मांगने वाले कार्यकर्ता विहार दुर्वे द्वारा दायर एक आरटीआई आवेदन के जवाब में, रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि फाइल को ‘‘गोपनीय’’ के रूप में वर्गीकृत किया गया था और आरटीआई अधिनियम की धारा 8 (1) (ए) के अनुसार इसका खुलासा नहीं किया जा सकता है। यह धारा एक सरकारी प्राधिकरण को ऐसी जानकारी साझा करने से इनकार करने की अनुमति देती है, जिसके प्रकटीकरण से भारत की संप्रभुता और अखंडता, राष्ट्र की सुरक्षा, रणनीतिक, वैज्ञानिक या आर्थिक हितों, अन्य देशों के साथ संबंध पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
सूचना का एक हिस्सा ‘‘गोपनीय’’
दुर्वे ने दलील दी कि ‘‘गोपनीय’’ शब्द का उल्लेख छूट खंड में कहीं नहीं है, जिसके तहत किसी आवेदक को जानकारी देने से इनकार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि केवल यह कहना कि सूचना का एक हिस्सा ‘‘गोपनीय’’ है, अधिनियम की धारा 8(1) (ए) को लागू करके सूचना से इनकार करने के लिए पर्याप्त नहीं है। सूचना आयुक्त विनोद कुमार तिवारी ने कहा, ‘‘रिकॉर्ड के अवलोकन से यह पता चला कि प्रतिवादी (सीपीआईओ, रक्षा मंत्रालय) ने जानकारी देने से इनकार कर दिया था, लेकिन वे यह बताने में विफल रहे कि उनके द्वारा दावा की गई छूट तत्काल मामले में कैसे लागू होगी।’’
क्या है अग्निपथ योजना?
बता दें कि अग्निपथ योजना 17.5 वर्ष से 21 वर्ष के बीच के युवाओं को सशस्त्र बलों में चार साल तक सेवा करने की अनुमति देती है। अग्निवीरों में से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले एवं प्रत्येक बैच में 25 प्रतिशत तक, को पारदर्शी और योग्यता-आधारित मूल्यांकन के आधार पर अगले 15 वर्षों तक सेवा की खातिर नियमित कैडर के लिए चुना जाएगा।