नईदिल्ली
अदाणी-हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि SEBI ही जांच करेगी. जांच SIT को ट्रांसफर नहीं किया जाएगा. CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने फैसला सुनाया है. कोर्ट ने SEBI को बाकी 2 जांच 3 महीने में पूरा करने का निर्देश दिया. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच नए सिरे से SIT से कराने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी. याचिकाकर्ता ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अदाणी ग्रुप पर शेयरों के प्राइज में हेरफेर का आरोप लगाते हुए नए सिरे से जांच की मांग की थी.
फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा,
“सेबी की जांच में संदेह नहीं किया जा सकता. सेबी की जांच उचित है. सेबी जांच के लिए एकदम सक्षम एजेंसी है.”
कोर्ट ने एक्सपर्ट कमेटी के सदस्यों पर उठे सवालों को खारिज किया. और कहा कि हितों कर टकराव की याचिकाकर्त्ता की दलील बेमानी है.
कोर्ट ने SEBI से कहा है कि मौजूदा नियामक तंत्र को बेहतर बनाने के लिए एक्सपर्ट कमेटी के सुझाव पर काम करें.
कोर्ट ने SEBI और सरकार से कहा कि वो जांच करे कि शार्ट सेलिंग के आरोपो की हकीकत क्या है. क़ानून के मुताबिक उस पर एक्शन लें. बिना पुख्ता आधार के जांच SEBI से ट्रांसफर नहीं किया जा सकता. मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर SEBI की जांच पर संदेह करना या किसी निष्कर्ष पर पहुंचना सही नहीं है.
भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने 24 नवंबर, 2023 को जनहित याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा था कि बाजार नियामक सेबी हमारी विधायी संस्था है. उससे जांच कराई गई है. सेबी की जांच पर संदेह का कोई आधार नहीं है. सेबी से मीडिया रिपोर्ट के आधार पर निर्णय लेने को नहीं कहा जा सकता.
अदालत ने ये भी कहा था कि बिना किसी ठोस सामग्री के इस मामले में जांच के लिए अपनी तरफ से एसआईटी गठित करना उचित नहीं है. हमें हिंडनबर्ग रिपोर्ट में जो बताया गया है उसे वास्तव में सच मानने की जरूरत नहीं है. इसीलिए हमने सेबी को जांच का निर्देश दिया.
मामले में अडानी ग्रुप ने हिंडनबर्ग की ओर से लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया गया था. इसके साथ पैसे जुटाने की अपनी स्ट्रेटेजी को भी बदला था. बताया गया कि 2023 में अडानी ग्रुप ने 41,500 करोड़ रुपये इक्विटी के जरिए जुटाए हैं और वहीं, इससे दोगुनी राशि डेट मार्केट से जुटाई है.
क्या है पूरा मामला?
जनवरी 2023 में अमेरिकी शॉर्ट सेल फर्म हिंडनबर्ग की ओर से अडानी ग्रुप की कंपनियों कथित गड़बड़ी का आरोप लगाया गया था. इसके बाद बवाल मच गया था. इतना ही नहीं इन आरोपों के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में बड़ी गिरावट देखने को मिली थी. इस गिरावट के साथ ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी की संपत्ति 60 अरब डॉलर कम हो गई थी.