चीन पर नीतियों को लेकर बोले जयशंकर- नेहरू तो हकीकत से परे थे, मोदी सरकार दिखा रही ताकत

नई दिल्ली
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार फिर पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि खासतौर आजादी के बाद पहले दो दशकों में चीन को डील करने में बहुत ज्यादा नरमी बरती गई। विदेश मंत्री ने कहा कि जहां नेहरू ने चीन से बातचीत में आदर्शवाद को तवज्जो दी। वहीं, मोदी सरकार वास्तविकता को ध्यान में रखकर काम कर रही है। भारतीय विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि माओ जेडांग के चीन से कैसे डील करें, इसको लेकर नेहरू और सरदार पटेल में भी मतभिन्नता थी। जयशंकर ने कहा कि मोदी सरकार चीन से डील करने के मामले में सरदार पटेल के तरीके पर विश्वास करती है।

नेहरू पर उठाए सवाल
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि अगर आप देश की 75 साल की विदेश नीति को देखें तो चीन को लेकर यथार्थवाद में काफी तनाव रहा है। यह पहले दिन से ही था जब नेहरू और पटेल में एक राय नहीं बन पाई कि चीन को जवाब कैसे दिया जाए। इसके अलावा उन्होंने नेहरू द्वारा सुरक्षा परिषद की सीट को चीन को देने के फैसले पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि वैकल्पिक तनाव जो नेहरू की चीन फर्स्ट नीति से शुरू होता है, जिसमें कहा गया है कि पहले चीन को सुरक्षा परिषद की सीट लेने दीजिए… वह चीन फर्स्ट से चिंडिया पर खत्म होती है।

आपसी सहमति जरूरी
जब उनसे पूछा गया कि क्या भारत माइंड गेम में हमेशा चीन से हारा है? इस पर एस जयशंकर ने कहा कि मैं नहीं समझता के हम हमेशा हारे हैं। लेकिन कुछ मामलों में अगर हम बात करते हैं तो इसे आज समझ पाना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि पंचशील समझौता ऐसा ही एक उदाहरण है। पूर्वी लद्दाख में चीन की आक्रामकता पर भारत के सख्त रुख का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारत ने चीन पर ध्यान नहीं दिया है। हमने एक ऐसा रिश्ता बनाने की कोशिश की है जो आपसी सहमति पर आधारित हो। जब तक इसे पारस्परिकता को मान्यता नहीं दी जाती है, तब तक इस रिश्ते की प्रगति मुश्किल होगी। हमारी समस्याएं इसलिए हैं क्योंकि 2020 में समझौतों की अवहेलना की गई। चीन के साथ संबंध कैसे होंगे, यह बहुत कुछ चीन की नीति पर निर्भर करता है।

 

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