नईदिल्ली
लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस आलाकमान कई बैठकें कर रहा है। वजह है इंडिया गठबंधन के सीट शेयरिंग फोर्मूले को अमल में लाया जाना। कांग्रेस अन्य विपक्षी दलों के साथ बैठक से पहले यह तय करना चाहती है कि पार्टी कितनी सीटों पर सीधे तौर पर चुनाव लड़ेगी? और कितनी सीटों पर गठबंधन के साथ मैदान में जाएगी। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस 290 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारना चाहती है और 100 सीटों पर गठबंधन के मुताबिक सीटें तय करना चाहती है। ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस ने अपने समीकरणों के मुताबिक यह आंकड़े तय कर लिए हैं और अब विपक्षी दलों के साथ बैठक में इसे रखा जाएगा। अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस 390 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
7 राज्यों में 234 सीटें और भाजपा यहां मुश्किल में
इन राज्यों में कुल 234 सीटें हैं। यहां भाजपा अकेले बहुत मजबूत स्थिति में नहीं है और 2019 में उसने महाराष्ट्र और बिहार में गठबंधन रहते हुए बड़ी जीत हासिल की थी। यूपी के बाद सबसे ज्यादा 48 सीटों वाले महाराष्ट्र में शिवसेना अब भाजपा से अलग है और दो खेमों में बंट चुकी है। यदि उद्धव ठाकरे गुट को जनता का समर्थन मिला तो भाजपा के लिए मुश्किल होगी। वहीं बिहार में आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस का महागठबंधन 2015 के विधानसभा चुनाव जैसी ही चुनौती पेश कर सकता है। बंगाल में तो टीएमसी अपने दम पर ही मजबूत है और उसे वामदल और कांग्रेस का भी समर्थन मिला तो भाजपा के लिए मुश्किल स्थिति होगी।
दक्षिण भारत में भाजपा के लिए ज्यादा कठिन चुनौती
वहीं तमिलनाडु, केरल और तेलंगाना जैसे दक्षिण भारत के राज्यों में भी भाजपा की स्थिति काफी कमजोर है। कर्नाटक में तो कांग्रेस विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर ही चुकी है। यहां जेडीएस और भाजपा एक पाले में है। इसलिए कांग्रेस यदि पहले ही उम्मीदवार तय कर ले तो उसे बढ़त मिल सकती है। कर्नाटक में 28 सीटें और तमिलनाडु में 39 हैं। इसके अलावा केरल में 20, बंगाल में 42 और बिहार में 40 सीटें हैं।
क्या है कांग्रेस का प्लान?
ऐसा माना जा रहा है कि पूर्वोत्तर के लगभग सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कांग्रेस सीधे तौर पीआर अपने उम्मीदवारों को मैदानों में उतारेगी। कांग्रेस 10 राज्यों सीधे तौर पर और 9 राज्यों में गठबंधन के साथ चुनाव लड़ने का प्लान बना रही है।
किन राज्यों में अकेले चुनाव लड़ना चाहती है कांग्रेस
अगर बात की जाए कांग्रेस के अकेले जिन राज्यों में चुनाव लड़ने की संभावना है, उन राज्यों में गुजरात, हरियाणा, असम, आंध्र, मध्य प्रदेश, तेलंगाना,हिमाचल, कर्नाटक, केरल,राजस्थान,छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और ओडिशा जैसे राज्य शामिल हैं।
बात अगर बाकी राज्यों की जाए तो दिल्ली, बिहार, पंजाब, तमिलनाडू, पश्चिम बंगाल, कश्मीर, झारखंड और महाराष्ट्र में पार्टी गठबंधन के साथ सीट शेयरिंग के मुताबिक चुनावी मैदान में उतरेगी। अब सवाल यह है कि महाराष्ट्र में पार्टी शिवसेना (उद्धव गुट) और शरद पवार के साथ बातचीत को किस तरह आसान बना पाती है। शिवसेना नेता संजय राउत का बयान भी काफी सुर्खियों में है, जिसमें कहा गया है कि उनकी पार्टी 48 में से 23 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इस ही तरह बंगाल में ममता बनर्जी की टीएमसी और बिहार में नीतीश कुमार और आरजेडी से कांग्रेस को बातचीत के बेहतर मौके तलाशने होंगे।