नई दिल्ली
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान सरकार ने 357 सवालों के जवाब ही नहीं दिए। लोकसभा के 163 और राज्यसभा के 194 सवालों को संसद की प्रश्न सूची से हटाने का संसदीय इतिहास में यह पहला मामला है। दरअसल, ये सभी सवाल इस सत्र के दौरान सदन से निलंबित किए गए 146 सांसदों की ओर से पूछे गए थे। सामान्यतः प्रश्न सूची से सवाल प्रश्नकर्ता के अनुरोध पर ही वापस लिए जाते हैं। प्रश्नकाल में सवाल पूछने के लिए 10 दिन पहले लिखित नोटिस देना होता है। लोकसभा की हर बैठक में चयनित प्रश्नों को 20 तारांकित और 230 अतारांकित सवालों के रूप में शामिल किया जाता है। राज्यसभा में हर बैठक में 15 तारांकित, 160 अतारांकित प्रश्न शामिल होते हैं जिनका लिखित जवाब दिया जाता है। तारांकित सवालों के जवाब मौखिक रूप से भी दिए जाते हैं, प्रश्नकर्ता अनुपूरक प्रश्न पूछ सकता है।
तारांकित और अतारांकित सवाल भी हटाए गए
राज्यसभा में 46 सांसद निलंबित हुए लेकिन 19 से 21 नवंबर के दौरान क्रमशः 43, 45 व 44 सवाल डिलीट किए गए जबकि लोकसभा में आखिरी के तीन दिन 27, 53 वं 52 सवाल प्रश्न सूची से हटा दिए गए। राज्यसभा में पूरे सत्र के दौरान 210 तारांकित सवालों में से 12 और 2240 अतारांकित सवालों में से 182 सवाल हटाए. गए जबकि लोकसभा में 280 तारांकित सवालों में से 12 और 3220 अतारांकित सवालों में से 151 सवाल डिलीट किए गए।
कमेटी के पास बिल भेजना भी घटकर 16 फीसदी रह गया
शीतकालीन सत्र के दौरान पेश सभी बिल पारित हो गए। साथ ही पिछले सत्र के सात बिल भी पास हो गए। एक भी बिल संसदीय समिति के पास विचार के लिए नहीं भेजा गया। 15वीं लोकसभा के दौरान 71 फीसदी बिल समितियों के पास भेजे जाते थे जबकि 17वीं लोकसभा के दौरान यह घटकर 16 फीसदी रह गया।
सांसदों के सवालों को हटाना स्पीकर का विशेषाधिकार
संसदीय प्रणाली के विशेषज्ञ और लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचारी का कहना है कि प्रश्नों को हटाने का कोई नियम नहीं है, यह लोकसभा स्पीकर और राज्यसभा सभापति के विवेकाधिकार पर तय होता है। कोई सदस्य संसद में अनुपस्थित रहता है तो वे प्रश्न हटाए नहीं जाते। निलंबन के मामले में स्पीकर के निर्देश पर यह किया जाता है क्योंकि सदस्य कार्यवाही से ही बाहर रहते हैं।