जब न्यूजर्सी-दुबई से लॉगिन हुआ संसदीय अकाउंट, तब देश में मौजूद थीं महुआ

नईदिल्ली

रिश्वत लेकर संसद में सवाल पूछने के मामले में जांच की आंच झेल चुकीं सांसद महुआ मोइत्रा के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। खबर है कि मोइत्रा का संसद लॉगिन सिर्फ दुबई ही नहीं, बल्कि अमेरिका के एक शहर में भी लॉगिन हुआ था। भारतीय जनता पार्टी सांसद निशिकांत दुबे ने आरोप लगाए थे कि मोइत्रा ने अपने लॉगिन डिटेल्स कारोबारी दर्शन हीरानंदानी के साथ साझा किए थे।

मीडिया रिपोर्ट्स में MEITY यानी इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के रिकॉर्ड्स के हवाले से बताया जा रहा है कि मोइत्रा के खाते में न्यू जर्सी और बेंगलुरु से भी लॉगिन हुआ था। कहा जा रहा है जिस दिन ये लॉगिन हुए, उस समय तृणमूल कांग्रेस सांसद मोइत्रा भारत में हीं थीं। खास बात है कि मोइत्रा खुद भी स्वीकार कर चुकी हैं कि उन्होंने हीरानंदानी को पासवर्ड दिया था।

MEITY के रिकॉर्ड्स के हवाले से बताया जा रहा है कि 29 अक्टूबर 2019 को मोइत्रा के अकाउंट में दुबई से और कुछ ही समय बाद बेंगलुरु से भी लॉगिन हुआ था। 15 जनवरी 2021 को भी दिल्ली स्थित पार्लियामेंट हाउस, कोलकाता, न्यू जर्सी में कई बार लॉगिन किया गया था।

हीरानंदानी की तरफ से दाखिल हलफनामे में भी टीएमसी सांसद पर आरोप लगाए गए थे। उनका कहना था कि मोइत्रा ने सवाल पूछने के बदले में रिश्वत ली थी। हलफनामें में हीरानंदानी ने यह भी दावा किया था कि मोइत्रा ने उन्हें संसद का लॉगिन दिया था, ताकि वह उनके स्थान पर सवाल पूछ सकें। हालांकि, एक चैनल से बातचीत में सांसद का कहना था कि प्रश्न डालने पर फोन पर OTP आता है।

लोकसभा ने दी सलाह
लोकसभा सचिवालय ने सदन में प्रश्नकाल के दौरान सांसदों के प्रश्नों को लेकर सरकार की तरफ से दिए गए उत्तरों की गोपनीयता बनाए रखने पर जोर दिया है और उनसे कहा है कि वे अपने पोर्टल का उपयोग केवल खुद के लिए करें। लोकसभा सचिवालय ने सांसदों को सूचित किया कि किसी प्रश्न के दिए गए उत्तर की सामग्री तब तक ‘पूरी तरह से गोपनीय’ होती है जब तक कि सदन में मौखिक उत्तर के लिए प्रश्न पूछा और उत्तर नहीं दिया जाता है।

  उसका कहना है कि यदि कोई प्रश्न मौखिक उत्तर के लिए नहीं आ सकता है, तो प्रश्नकाल के समापन तक प्रश्न का उत्तर जारी नहीं किया जाना चाहिए। इसमें कहा गया है, ‘लिखित उत्तरों की सूची में शामिल प्रश्नों को भी तब तक गोपनीय माना जाएगा जब तक कि उन्हें प्रश्नकाल समाप्त होने के बाद सदन के पटल पर रख नहीं दिया जाता है।’