खुशी या तनाव स्वयं का चुनाव शिविर तृतीय दिवस

पुलिस कर्मियों के लिए रक्षित आरक्षित केन्द्र धमतरी में एक विशेष कार्यक्रम का हुआ आयोजन
धमतरी। ब्रह्माकुमारीज धमतरी तत्वाधान में पांच दिवसीय तनाव मुक्ति शिविर के तृतीय दिवस संबधो में मधुरता विषय पर अपने संबोधन में ब्रह्माकुमारी उर्मिला दीदी ने कहा कि मनुष्य जीवन मे 108 सम्बन्ध होते है जिसमें से आठ मुख्य होते है। किसी की गल्तियों को क्षमा कर देना बडी बात है लेकिन किसी की गल्तियों को सदा के लिए चित से मिटा देना यह महान बात है। जैसे हम अपने घर परिवार की गल्तियो अवगुणो को समा लेते है वैसे ही समाज व अन्य लोगो के अवगुणो को चित पर रख सबको समाकर आगे बढे। प्रेम का एक सिद्वांत है प्रेम प्रेम को अपनी ओर आकर्षित करता है। परिवार व संसार की शोभा विविधता में है। अगर सभी हमारी तरह सोचने बोलने करने लग जाए तो संसार का स्वाद जाता रहेगा। परिवार में स्वंय के लिए त्याग और दूसरो को आगे बढाने की भावना रखेगें तो वहां एकता और मधुरता रहेगी। संबधो में मधुरता का आधार है सद्गुण यह गुण कोई कहने से पढने से नही आता गुणो की धारणा हमारे आचरण व्यवहार में होगा तो स्वत: ही परिवार के छोटे बडे सभी सदस्य इसे स्वीकार करेगें। कार्यक्रम के अंत में सभी पति पत्नियो को आरती की थाल सजाकर शादी के वचन याद दिलाए गए और जीवन में मधुरता को सदैव बनाए रखने की प्रेरणा प्रदान की गई।
इसके पूर्व पुलिस कर्मियों के लिए रक्षित आरक्षित केन्द्र धमतरी में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें ब्रह्माकुमारी उर्मिला दीदी ने अपने संबोधन में कहा कि शांति हमने कही खोई नही है हम भूल गए है कि शांति कहां है और ब्राहय जगत में यहां वहां ढूंढ रहे है। जब हम आत्म चिंतन करते है तो सम्पूर्ण अस्तित्व में शांति छा जाती है। पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारीयो के द्वारा उर्मिला दीदी का सम्मान किया गया। एक अन्य कार्यक्रम में शिवसिंह वर्मा शासकीय उच्च. माध्य. विद्यालय में स्कूली बच्चो को नैतिक मूल्यो पर संबोधित करते हुए कहा कि जो बाते हमें विद्यालय में पढाई जाती है वह एक सूचना मात्र है। जीवन में पढाई के साथ सफलता हासिल करने के लिए आध्यात्म को अपनाना चाहिए। आध्यात्म हमे अपनी आत्मा की असली पहचान देता है। जिससे हमारे अंदर छिपे मूल्य जागृत होते है। हिन्दी की वर्णमाला का ज्ञान प्राप्त कर हम समाज में सम्मान का पात्र बन जाते है लेकिन जब आप नैतिकता के वर्णमाला को धारण कर लोगे तो पूज्यनीय देवतुल्य बन जाते है।

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