गरियाबंद के राशन दुकान में लाखो का घोटाला

गरियाबंद। 6 माह तक राशन दुकानों में कूल आबंटन के 10 प्रतिशत अतरिक्त राशन भेज 1 रूपये किलो के चावल में लाखों की गड़बड़ी एक ब्लॉक में हुई,रिकवरी हुई तो प्रदेश भर के 12005 दूकानों से 200 करोड़ से ज्यादा की होगी वसूली। पूर्वर्ती सरकार के कार्यकाल में लागू छतीसगढ़ के जिस पीडीएस सिस्टम को देश भर में सराहा गया,मुखिया को चावल वाले बाबा की उपाधि तक दे दी गई,उस सिस्टम में 1 रुपये किलो वाले चावल के आबंटन के आड़ में पूरे प्रदेश भर के 12005 दूकानों में कैसा खेल खेला गया।देवभोग ब्लॉक में हुए घाल मेल की भास्कर पड़ताल से पूरे प्रदेश में हुए खेल को आसानी से समझा जा सकता है।सरकार बदलने के बाद कांग्रेस ने , बोगस कार्ड के जरिये रमन सरकार के कार्यकाल में 36 हजार करोड़ के जिस घोटाले का आरोप लगाया है, हो सकता है इस गड़बड़ी की तार भी इस महा घोटाले से जुड़ा होगा।
-पीडीएस सिस्टम को ऑनलाइन ऑपरेट करने वाले एनआईसी में मौजूद ऑन लाइन डाटा के मुताबिक देवभोग के 54 राशन दुकानों को अगस्त 2016 से जनवरी 2017 तक यानी 6 माह तक कूल आबंटन के 10 प्रतिशत अतरिक्त राशन भेजा गया जिसकी मात्रा लगभग 3500 क्वी है।एक एक दुकान में 50 से 100 क्वी राशन का अतिरिक्त भंडारण हो गया।साल भर तक एनआईसी के डेटा में अतिरिक्त आबंटन दिखता रहा,2018 को होने वाले विधान सभा चुनाव की तारीख घोषित होते ही,अतरिक्त राशन का डाटा सितम्बर 2018 से नबम्बर 2018 तक पूरी तरह से हट गया।आबंटन जीरो होने का प्रमाण तकनीकी सूत्रों के पास सुरक्षित है।17 दिसम्बर 2018 को सरकार बदलने के बाद जनवरी फरवरी माह में नील बेलेंस के बजाए दूकानों के आबंटन मात्रा में बचत चावल फिर से दिखने लगा।जुलाई में कांग्रेस ने रमन सरकार के कार्यकाल में बोगस कार्ड के जरिये 36हजार करोड़ के पीडीएस घोटाले का आरोप मढ़ा था।पूरा महकमा लीपापोती में जुटा था,उसी दरम्यान ही खाद्य संचनालय से कमलप्रीत सिंह द्वारा हस्ताक्षर किए गए प्रदेश के समस्त कलेक्टर के लिए शेष स्टॉक को समायोजन करने का निर्देश जारी किया गया।आदेश में जरूरत के मुताबिक नागरिक आपूर्ति निगम के सॉफ्टवेयर में सुधार कर बचत राशन को चालू माह के आबंटन में समायोजित करने का निर्देश जारी हुआ।खाद्य अधिकारी से लेकर निरिकच्छक तक को भौतिक सत्यापन करने कहा गया था,पर नए सरकार के नियंत्रण वाले शासन के इस निर्देश का पालन 3 माह बाद भी नजर नही आया।हमारी पड़ताल में दिवानमूड़ा,कुम्हडाई कला,झाखरपारा, मूड़ागाव,झिरिपानी बडीगाव समेत 20 दुकानों में 70 से 100 क्विंटल राशन,रिकार्ड में बचत दिखा रहा था,पर इन दुकानों के गोदामों में आधा से ज्यादा बचत राशन गायब मिले।मामले में जिला खाद्य अधिकारी एच आर डड़सेना ने बताया कि निर्देश के बाद जिले भर के कई दुकानों के राशन समायोजन के लिए दो तीन माह पहले शाषन को प्रस्ताव भेजा गया है,पर अब तक समायोजन नही हुआ है।कितने दूकानों का भेजा गया है वो फाइल देख कर बताता हूँ।
*सेटलमेंट हो गया था-
सेल्समेन बोले जांच हुई तो सामने बयान देंगे पर अभी नाम नही छापना-मामले को लेकर हमने 22 दूकानों के सेल्समेन से बात किया,इनमे से 5 ने तो बचत राशन के कुछ मात्रा गोदाम में होना बताया,जिसे भरने की बात कही।मामले को लेकर सहमे सेल्समेन से हमने उनके हिमायती बन कर माजरा जानने की कोसिस किया तो कर्मी खुलने लगे।नाम न छापने के शर्त पर बताया कि उनके ब्लॉक से लेकर जिला के अधिकारी तक मामले मे सेटलमेंट का भरोसा दिलाया।रिकार्ड में दिख रहे बचत राशन का बाजार कीमत 15 रूपया तय किया गया,फिर आधे कीमत को सेटलमेंट के तौर पर भूगतान कराया गया।कहा जा रहा है सेटलमेंट के लिए अकेले देवभोग ब्लॉक से 25 लाख रुपये की वसूली हो गई जिसे एनआईसी रॉयपुर के एक नामचीन ऑपरेटर के माध्यम से वँहा तक पहूंचाया गया जंहा से एनआईसी के डाटा में दिख रहे बचत राशन को निरंक कर दिया गया था।मामले में देवभोग के खाद्य निरिकच्छक जितेंद्र दिनकर ने सेल्समेनों के सेटलमेंट के आरोप को सिरे से खारिज कर दिया है।उन्होंने ने कहा कि जंहा शॉर्टेज मिला है ऐसे 10 दूकानों के सेल्समेन का रिकवरी प्रकरण एसडीएम के पास दर्ज कराया गया है।समायोजन का ऑप्शन मॉड्यूल में नही दिख रहा है,इसलिय एक जाई समायोजन प्रकरण बना कर दो तीन माह पहले ही उच्च कार्यालय भेज दिया गया है,अब ऊपर से ही कोई कार्यवाही नही हुई तो इसमे हम क्या कर सकते हैं।
*कार्यवाही हुई तो 194 करोड़ की हो सकती है वसूली –
प्रदेश भर में 12005 राशन दूकान है,एक दुकान में अतरिक्त 50 क्वी राशन का ओसत माना जाए तो इसकी मात्रा 6लाख 250 क्वि की होगी।सरकारी नियम के मुताबिक गबन की स्थिति में 3250 रुपये प्रति क़वीण्टल की दर पर वसूली का प्रावधान है।जांच, फिर कार्यवाही के बाद वसूली हुई तो 194 करोड़ रूयव सरकार के कोष में आ सकेगा।
*सुलगते सवाल
-1-पीडीएस सिस्टम सशक्त होने के बावजूद,10 प्रतिशत अतरिक्त भंडारण 6 माह तक करने की जरूरत क्यो पड़ी।
2.बगैर समायोजन के एनआईसी के डाटा कुछ माह के लिए निरंक कैसे किये गए, फिर से डाटा वापस आने के पीछे के कारण क्या है।
3-पूरे प्रदेश का पीडीएस सिस्टम चलाने वाला एनआईसी के डाटा में छेड़खानी की संभावना बनी तो,इस पर वर्तमान सरकार के नियंत्रण वाली शाशन ने अब तक सज्ञान क्यो नही लिया।
4-खाद्य संचालक के निर्देश के बावजूद ,निर्देश का पालन दिखा नही,फिर जवाब तलब व उच्च स्तर पर इस मामले में सज्ञान लेना आखिरकार बन्द क्यो कर दिया गया।
5-बचत राशन गोदाम के स्टॉक से गायब है,प्रति माह निरिक्षन का दावा करने वाले मैदानी अफसर फिर कार्यवाही क्यो नही किये।
फोटो-अगस्त 2018 में खाद्य संचालक कमलप्रीत सिंह द्वारा समस्त कलेक्टर के नाम जारी यह पत्र,अतरिक्त आबंटन कि पुष्टि करता है।

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