नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा है कि 2025 तक तपेदिक रोग के उन्मूलन के लिए जन भागीदारी बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सभी हितधारकों को एक साथ आना होगा। नई दिल्ली में ट्यूबरकोलोसिस- टीबी पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए श्री नायडू ने कहा कि राष्ट्र दृढ़ निश्चय, पूर्ण विश्वास तथा साहस के साथ इस बीमारी को हरा सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस संबंध में कई पहल की हैं। श्री नायडू ने जोर देकर कहा कि टीबी के खिलाफ इस लड़ाई में पोषण बहुत महत्वपूर्ण है। उपराष्ट्रपति ने तपेदिक के खिलाफ लड़ने के लिए लिंग-संवेदनशील दृष्टिकोण का आह्वान किया। उन्होंने राज्यों से विशेषकर उन महिलाओं के लिए जो अपने दम पर स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली से संपर्क करने को तैयार नहीं हैं, घर-घर जा कर जांच करने के लिए सक्रिय कदम उठाने का आग्रह किया। उन्होंने टीबी के बारे में सामाजिक धारणा को भी बदलने की आवश्यकता पर जोर दिया। श्री नायडू ने कहा कि बीमारी के शारीरिक प्रभाव के अलावा, लोगों के जीवन पर बहुत अधिक आर्थिक और सामाजिक बोझ पड़ता है। स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने 2025 तक तपेदिक रोग को खत्म करने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि देश में इस समय 25 लाख से अधिक तपेदिक रोगी हैं और हर साल लगभग चार लाख लोगों की इस बीमारी से मौत हो जाती है। श्री मांडविया ने कहा कि टीबी के 65 प्रतिशत रोगी 25 से 55 वर्ष के आयु वर्ग के हैं। श्री मांडविया ने टीबी रोगियों की पहचान और इलाज के महत्व पर जोर दिया। इस अवसर पर महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2025 तक टीबी की बीमारी खत्म करने के लिए सरकार के दृष्टिकोण की घोषणा की थी।