उफनती नदियों ने उजड़े सैकड़ों परिवारों के आशियाने…

लखीमपुर। उत्तरप्रदेश में बाढ़ का कहर अभी नहीं थम रहा है। पहाड़ों पर बारिश के बाद से लबालब हो चुके बांधों से लगातार पानी की निकाली के कारण नदियों का जलस्तर बढ़ा हुआ है। लखीमपुर और पीलीभीत के पांच सौ से अधिक गांवों में पानी घुसा हुआ है। वहीं अवध के भी 600 गांव भी बाढ़ प्रभावित हैं।
यहां ग्रामीण अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंच गए हैं लेकिन दुश्वारियां बहुत हैं। न रोजी का जुगाड़ हो रहा है और नहीं ही ठीक से खाने पीने के इंतजाम ही हैं। बरेली में रामगंगा में कालागढ़, कोसी समेत अन्य नदियों के पानी से जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। शनिवार शाम चार बजे जलस्तर 162.3 मीटर दर्ज किया गया। जो खतरे के निशान से महज 0.7 मीटर ही कम है। अधिकारी लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाने में जुटे हुए हैं। 
पीलीभीत में शारदा नदी का जलस्तर तो लगातार घटा लेकिन तटबंध टूटने के बाद पानी के प्रवाह ने खेती की जमीन का कटान शुरू कर दिया धान बह गया। गन्ना खेत में ही गिर गया। प्रशासन ने जिले के 78 गांवों को बाढ़ प्रभावित माना है। कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने शानिवार बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का हवाई सर्वे किया। मंत्री ने कहा कि सात हजार हेक्टयेर कृषि भूमि की फसलें बर्बाद हुईं हैं। उन्होंने सर्वे करने को कहा।
बदायूं : पुलिया बहने से शाहजहांपुर रोड भी बंद
गंगा पहले से उफान पर हैं जिससे जिले में सहसवान व उसहैत क्षेत्र के गांवों में हालात बिगड़े हैं। शुक्रवार से लगातार पानी छूटने के बाद रामगंगा भी उफना गई हैं। वर्ष 2011 के बाद रामगंगा ने खतरे के निशान को पार किया है। इससे दातागंज के करीब पचास गांव बाढ़ से घिर गए हैं। वहां लोग बीमार हैं पर सरकारी मदद और उपचार तक नहीं मिल पा रहा है। कई गांव में पानी घुस गया है। दातागंज से शाहजहांपुर को जोड़ने वाले बेलाडांडी रोड पर पानी भर गया है। इस रोड पर मानपुर की पुलिया बहने से संचालन बंद है।

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