कुशीनगर। आजादी की पहली किरण की गवाह कसया का हवाई अड्डा (एयरोड्रम) 75 वें साल में अंतरराष्ट्रीय पहचान पाने जा रही है। आज बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्घाटन करेंगे। यह यूपी का तीसरा व सबसे लंबे रनवे वाला एयरपोर्ट होगा। इतिहास में दर्ज होने वाली इस तारीख का हर व्यक्ति गवाह बनना चाहता है। वर्ष 1995 में हुए जीर्णोद्धार के ढाई दशक बाद अब जाकर इस एयरपोर्ट से नियमित उड़ान शुरू होगी। रोजगार के क्षेत्र में पिछड़े इस जिले के लोगों को पर्यटन से कारोबार की बड़ी उम्मीद है।
ब्रिटिश हुकूमत में देवरिया-कुशीनगर का यह इलाका गन्ने की खेती के लिए जाना जाता था। तब यहां 13 चीनी मिलें स्थापित थीं। वर्ष 1946 में अंग्रेज अफसरों के आवागमन के लिए कसया के भलुही मदारीपट्टी गांव में एयरोड्रम का निर्माण हुआ था। हालांकि अंग्रेज इसका उपयोग नहीं कर पाए। वर्ष 1954 में कुशीनगर में अंतरराष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन का आयोजन हुआ। जिसमें चीन, ताइवान, तिब्बत, थाईलैंड समेत बौद्ध अनुयायी देशों के प्रतिनिधियों और राष्ट्राध्यक्षों ने भी प्रतिभाग किया।
इस कार्यक्रम के लिए कसया की इस हवाई पट्टी का पहली बार प्रयोग किया गया। उसके बाद से इसे बिसरा दिया गया। धीरे-धीरे अगल-बगल के गांव के लोगों ने हवाई पट्टी का उपयोग वाहन चलाना सीखने व फसलों की मड़ाई के लिए करना शुरू कर दिया। हवाई पट्टी के बीच से ही सड़क बन गई। वर्ष 1995 में प्रदेश में जब बसपा की सरकार बनी तो मुख्यमंत्री मायावती ने कुशीनगर की इस हवाई पट्टी के जीर्णोद्धार के लिए प्रयास शुरू किया। उस वक्त हवाई पट्टी के रनवे की मरम्मत के अलावा बाउंड्रीवाल, प्रतीक्षालय, एटीसी बिल्डिंग, गेस्ट हाऊस आदि का निर्माण कराया गया। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री रहे गुलाम नबी आजाद ने इसका उद्घाटन भी किया। दुर्भाग्य की बात यह रही कि इस एयरपोर्ट से उड़ान शुरू नहीं हो सकी।
बसपा शासनकाल में आया चर्चा में हवाई अड्डा
वर्ष 2008 में मुख्यमंत्री के तौर पर मायावती कुशीनगर आई थीं। अपने आध्यात्मिक गुरु एबी ज्ञानेश्वर से मिलकर लौटीं मायावती ने कुशीनगर में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बनवाने की घोषणा की। इसके लिए प्रस्ताव भी केंद्र सरकार को भेजा गया। मंजूरी भी मिल गई, लेकिन निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया। वर्ष 2012 में प्रदेश की सत्ता संभालते ही सपा सरकार ने मैत्रेय प्रोजेक्ट को लेकर तत्परता दिखाई। एयरपोर्ट के लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो गई। मैत्रेय प्रोजेक्ट के विरोध को देखते हुए एयरपोर्ट के लिए जमीन मिलना मुश्किल था, लेकिन तत्कालीन डीएम के प्रयासों से जमीन अधिग्रहण का काम जल्दी ही पूरा हो गया।
विस्तारीकरण में 13 गांवों के किसानों ने दी जमीन
हवाई अड्डे के लिए भलुही मदारीपट्टी, बेलवा दुर्गा राय, बेलवा रामजस, नीबीडीह, शाहपुर, कुरमौटा, मिश्रौली, नरकटिया, पतया, पतईं, नंदाछपरा, नकहनी व खोराबर के किसानों की जमीनों का अधिग्रहण किया गया। पहली बार किसानों को अपनी जमीन के लिए सरकारी मालियत की दर से चार गुना अधिक मुआवजा मिला। लिहाजा कई किसान खुद ही जमीन देने के लिए आगे आए।
दो साल से था उद्घाटन का इंतजार
प्रदेश तीसरे अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे को अपने उद्घाटन के लिए भी लंबा इंतजार करना पड़ा। एयरपोर्ट का 3200 मीटर लंबा रनवे सबसे पहले बनकर तैयार हुआ। इसके बाद पुराने टर्मिनल बिल्डिंग का जीर्णोद्धार कर उद्घाटन की तैयारी शुरू हुई। कोरोना संक्रमण के चलते कार्यक्रम टल गया। इस दरम्यान यहां नया एटीसी टॉवर और जर्मन फेब्रिक से नया टर्मिनल बिल्डिंग भी बन गई। एयरपोर्ट को सीधे कुशीनगर तक फोरलेन से जोड़ने के लिए 21 करोड़ की लागत से नई सड़क का भी निर्माण शुरू हो गया। पिछले साल ही इसका उद्घाटन श्रीलंका के राष्ट्रपति की मौजूदगी में कराने की योजना था लेकिन अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध के चलते फिर मामला लटक गया।
नियमित उड़ान शुरू होने से मिलेगा रोजगार
पर्यटन सूचना अधिकारी राजेश कुमार भारती बताते हैं कि अभी कुशीनगर में हर साल 50 हजार से अधिक विदेशी पर्यटक आते हैं। इनमें श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड आदि बौद्धिस्ट देशों के लोग शामिल होते हैं। इसके अतिरिक्त हर साल जर्मनी, फ्रांस, इंग्लैंड आदि देशों के इतिहासकार, शोधार्थी व पुरातत्वविद भी कुशीनगर की प्राचीनता को जानने आते हैं। अब तक कुशीनगर के आवागमन के लिए कोई सीधी सेवा नहीं होने के चलते पर्यटकों को दिक्कत होती थी। कुशीनगर एयरपोर्ट से उड़ान शुरू होने पर ये लोग सीधे कुशीनगर आएंगे, जिससे यहां पर्यटन कारोबार को नई ऊंचाई मिलेगी।