नई दिल्ली। भारत ऐसा देश है जहां पर मोबाइल डाटा की दरें दुनिया में सबसे कम हैं। यहां पर चीन, जापान और दक्षिण कोरिया से भी सस्ता मोबाइल डाटा मिलता है। लेकिन आने वाले समय में भारतीय ग्राहकों को इसी डाटा के लिए ज्यादा रकम चुकानी पड़ सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि एयरटेल, जियो, वोडाफोन-आइडिया और बीएसएनएल ने जल्द ही मोबाइल डाटा का दाम बढ़ाने की घोषणा की है। भारतीय बाजार में एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया की राजस्व के मामले में आधे से ज्यादा हिस्सेदारी है। हाल ही में दोनों कंपनियों ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 10 अरब डॉलर का घाटा दिखाया है। ऊपर से सुप्रीम कोर्ट ने एक पुराने मामले को निपटाते हुए हाल ही में आदेश दिया है कि सभी टेलीकॉम कंपनियों को 90,000 करोड़ रुपए की रकम सरकार को देनी होगी। इसी के बाद वोडाफोन ने हाल ही में बयान जारी किया है, “मोबाइल डाटा आधारित सेवाओं की तेजी से बढ़ती मांग के बावजूद भारत में मोबाइल डाटा के दाम दुनिया में सबसे कम हैं। वोडाफोन आइडिया 1 दिसंबर 2019 से अपने टैरिफ की दरें उपयुक्त ढंग से बढ़ाएगा ताकि इसके ग्राहक विश्वस्तरीय डिजिटल अनुभव लेते रहें।”एकदम बहुत बढ़ोतरी बड़ी नहीं होगी क्योंकि कंपनियां एकदम से 15-20 प्रतिशत दाम नहीं बढ़ा सकतीं। इसलिए हर कंपनी अपने हिसाब से योजना बनाएगी कि और देखेगी कि किस सेगमेंट से कितना राजस्व बढ़ना है। दरअसल कंपनियां ‘एवरेज रेवेन्यू पर यूज़र’ यानी प्रति व्यक्ति होने वाली कमाई को देखती है। अभी भारत में यह हर महीने लगभग 150 रुपए से कुछ कम है। आम भाषा में ऐसे समझें कि एक आम व्यक्ति हर महीने 150 रुपए खर्च कर रहा है।तो कंपनियां ऐसी योजना ला सकती है कि अभी आप महीने में 100 रुपए का प्लान ले रहे हैं तो 120 रुपए का प्लान लीजिए, हम आपको 100 रुपए वाले प्लान से दोगुना डाटा देंगे। इससे कंपनियां की 20 फीसदी कमाई तो बढ़ जाएगी लेकिन उनका डाटा का खर्च उतना नहीं बढ़ेगी कि परेशानी होने लगे। फिर भी, कंपनियां को अगर राजस्व बढ़ाना है तो ऐसा तभी हो सकता है जब वे मोटा खर्च करने वाले ग्राहकों से और पैसा खर्च करवाएंगी।