संसद और राज्य विधानसभाएं बहस व चर्चा के लिए, व्यवधान पैदा नहीं करें : उपराष्ट्रपति

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि संसद और विधानसभाएं सार्थक चर्चा, बहस और फैसले के लिए हैं, व्यवधान पैदा करने या हंगामे के लिए नहीं। बुधवार को एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने हाल में संसद में विपक्ष के हंगामे पर चिंता व्यक्त की और निर्वाचित प्रतिनिधियों को उनकी जिम्मेदारी की याद दिलाई। उपराष्ट्रपति ने कहा कि जन प्रतिनिधियों को लोगों का जीवन स्तर सुधारने पर ध्यान देना चाहिए। उन्हें ऐसे विषय उठाने चाहिए जिससे आम लोगों का भला हो।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि आपने कुछ दिन पहले देखा होगा कि संसद में क्या हुआ। बहुत से युवा मेरे पास आए और बोले, सर, आप देश के उपराष्ट्रपति हैं, आप इतने उदास क्यों हैं। मैंने कहा, मैं कुछ लोगों के बुरे बर्ताव से दुखी हूं। संसद के अंदर कितना खराब व्यवहार किया गया। कर्नाटक समेत देश के कई विधानसभाओं में भी पूर्व में इसी तरह के व्यवहार का उल्लेख करते हुए नायडू ने कहा कि प्रत्येक सदस्य और जन प्रतिनिधि को उस संस्था के सम्मान में वृद्धि की कोशिश करनी चाहिए जिसका वह प्रतिनिधित्व करता है।
अपने आचार-विचार और व्यवहार से उसके विकास में योगदान देना चाहिए। आप लोगों के आदर्श हैं। यदि आप लोग ही ऐसा बर्ताव करेंगे तो युवा और दूसरे लोग आप से क्या प्रेरणा लेंगे। उन्होंने कहा कि विधानसभाएं और संसद ऐसे स्थान हैं, जहां आप चर्चा करते हैं, बहस करते हैं और एक नतीजे पर पहुंचते हैं। वे व्यवधान उत्पन्न करने और हंगामा के लिए नहीं हैं। यदि आप ऐसा कर रहे हैं तो आप देश के हितों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। तनाव हो सकता है लेकिन आपको काम पर भी केंद्रित होना चाहिए।

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