नई दिल्ली। भारत में 2024 तक प्रति हजार जनसंख्या पर एक चिकित्सक (डॉक्टर) की व्यवस्था हो जाएगी और यह विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा जनसंख्या अनुपात के अनुसार चिकित्सक की अनुशंसा है I इसके साथ अस्पतालों में बिस्तरों की संख्या को भी 11 लाख से बढ़ाकर 22 लाख की जा रही हैI यह जानकारी नीति आयोग के सदस्य डॉ. विनोद पॉल ने एक व्याख्यान श्रृंखला में विमर्श के दौरान दी। डॉ. पॉल ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के अंतर्गत राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संचार परिषद और विज्ञान प्रसार द्वारा आयोजित आजादी का अमृत महोत्सव ऑनलाइन प्रवचन श्रृंखला न्यू इंडिया @ 75 में बताया कि पिछले 75 वर्षों में भारत ने स्वास्थ्य क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है। स्वतंत्रता के समय नागरिकों का औसत जीवनकाल केवल 28 वर्ष था और अब यह 70 वर्ष के करीब पहुंच गया है। हालांकि, हम अभी भी स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच के मामले में लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने से बहुत दूर हैं और यह अब भी एक चुनौती बना हुआ है। उन्होंने कहा कि पिछले छह-सात वर्षों में इन समस्याओं को दूर करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं और जिनके परिणाम उत्साहजनक हैं। उन्होंने आगे कहा कि आयुष्मान भारत योजना और जन आरोग्य योजना ऐसे कार्यक्रम हैं जो लोगों को सभी प्रकार की स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं तथा ये सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज, वहन योग्य उपचार की क्षमता और स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच की दिशा में कदम हैं। जन आरोग्य योजना के तहत, अब 50 करोड़ लोग वहनीय (सस्ती) स्वास्थ्य सेवाओं के लिए पात्र हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल पर बहुत अधिक बल दिया गया है। देश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में वर्ष 2022 तक 150,000 प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्र स्थापित किए जाएंगे और ये प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के केंद्र होंगे। हमने स्वास्थ्य क्षेत्र में मानव संसाधन की उपलब्धता की समस्या के समाधान के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं। चिकित्सकों को प्रशिक्षण देकर और स्नातकोत्तर सीटों को दोगुना करके अंतर को पाटने पर बहुत जोर दिया गया है।