छग सीलिंग एक्ट के मामले की सुनवाई में न्यायालय ने दिया फैसला
बिलासपुर। छग सीलिंग एक्ट के मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि अगर अधिनियम के तहत भूमि जाती है तो कब्जा धारी जमीदार को भी जमीन प्राप्त करने का हक है। इस बात का परीक्षण भी जरूरी है कि जो जमीन जा रही है वह उस तारीख में मालगुजार के कब्जे में है या नहीं। मालखरौदा के लाल भुपल बहादुर सिंह, लाल भूपेंद्र बहादुर सिंह, राजकुमारी, विजयेद्र सिंह, बाबू बहादुर सिंह, दुर्गेश नंदिनी, अमित विक्रम कुमार सिंह, जितेंद्र बहादुर सिंह, शांति कुमारी देवी की मालगुजारी की जमीन मालखरौदा में थी। यह जमीन छत्तीसगढ़ कृषि जोत उच्चतम सीमा अधिनियम 1960 सीलिंग एक्ट के अंतर्गत आ गई थी। इस जमीन को शासन ने अपने कब्जे में ले लिया। सीलिंग मैं आई जमीन पर पहले जांजगीर-चांपा जिला के ग्राम मालखरौदा के रहने वाले राजेंद्र कुमार, सुशीला बाई, उत्तम, फिरतन बाई, ललित कुमार, जमुना प्रसाद सहित अन्य काबिज थे। उन्होंने हाईकोर्ट में अधिवक्ता राजीव श्रीवास्तव के माध्यम से याचिका दायर की इसमें बताया कि उनको जमीन मालगुजार ने दान में दिया है या फिर वह पहले ही खरीद लिए हैं और कब्जे में है। इस जमीन पर उपज लेकर कमा खा रहे हैं। इनकी अर्जी पहले अनुविभागीय अधिकारी राजस्व के न्यायालय से और बाद में राजस्व मंडल ने खारिज कर दी। जबकि इनके मामले की सीलिंग एक्ट में कोई परीक्षण नहीं किया गया। इसके बाद मामला छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में लगने के बाद हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा है कि अधिनियम के तहत भूमि जाती है तो कब्जाधारी जमीदार को भी जमीन प्राप्त करने का हक है।