सर्दी, बुखार आने पर तुरंत करायें कोरोना जांच, अस्पताल जाने से ना घबराएं लोग

जल्दी ईलाज शुरू होने से नहीं होगा जान का खतरा: डाॅ. बोड
कोरोना से बचने मास्क अवश्य पहनें, मास्क का कोई विकल्प नहीं: डाॅ. जैन
कोरबा।
वैश्विक महामारी कोरोना को सतर्कता और जागरूकता के बल पर हराया जा सकता है। जिले में कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने और कोरोना संक्रमित मरीजों के ईलाज के लिए जिला प्रशासन हर संभव प्रयास कर रहा है। कोविड अस्पताल के सभी 142 बेडों को ऑक्सीजीनेटेड किया जा रहा है। कोविड अस्पताल में कोरोना मरीजों के ईलाज के लिए प्रशिक्षित विशेषज्ञ डाॅक्टरों की टीम 24 घंटे उपलब्ध है। अस्पताल में निपुण पैरा मेडिकल टीम के साथ दवाईयों की भी पर्याप्त व्यवस्था की गई है। जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. बी. बी. बोडे ने जिलेवासियों से अपील की है कि हल्की सर्दी, बुखार, खांसी आने पर कोरोना की तुरंत जांच करानी चाहिए। उन्होंने कहा कि लोगों को अस्पताल जाने से घबराना नहीं चाहिए। हल्के लक्षण में ही ईलाज शुरू हो जाने से मरीज को जान का खतरा नहीं रहता और वह जल्दी ठीक हो सकता है। डाॅ. बोडे ने लोगों से अपील की है कि कोरोना जांच से डरना नहीं चाहिए। किसी की कोरोना जांच रिपोर्ट पाॅजिटिव आती है तो उसके लक्षण के आधार पर ईलाज शुरू किया जाता है। कम लक्षण वाले मरीजों को उनके घर पर ही रखकर दवाई से ईलाज किया जाता है। गंभीर लक्षण और आॅक्सीजन सपोर्ट की जरूरत वाले मरीजों को अस्पताल में भर्ती किया जाता है।
डाॅ. बोडे ने अपील किया है कि होम आईसोलेटेड मरीजों को गंभीर लक्षण उभरते ही तुरंत कोविड कन्ट्रोल रूम नंबर में संपर्क करके डाॅक्टरी परामर्श लेना चाहिए। अपने लक्षणों को हाॅस्पिटल में भर्ती होने के डर से छुपाना नहीं चाहिए। उन्होंने बताया कि समय रहते होम आईसोलेटेड मरीज को हाॅस्पिटल में भर्ती करने से स्वास्थ्य स्थिति गंभीर नहीं हो पाती जिससे मरीज के स्वास्थ्य में जल्दी सुधार आता है। डाॅ. बोडे ने बताया कि अपने लक्षणों को छुपाने के कारण होम आईसोलेटेड मरीजों को गंभीर स्थिति में हाॅस्पिटल में भर्ती कराया जाता है। गंभीर स्वास्थ्य स्थिति के कारण डाॅक्टरों को भी मरीज के ईलाज में परेशानी होती है और ईलाज करने में मशक्कत उठानी पड़ती है। समय के अभाव में मरीज को बेहतर ईलाज के लिए उच्च अस्पतालों में रिफर करने में भी परेशानी होती है। डाॅ. बोडे ने होम आईसोलेटेड मरीजों से अपील किया है कि स्वास्थ्य स्थिति गंभीर होने तक इंतजार नहीं करना चाहिए। लगातार बुखार, सांस लेने में परेशानी होने पर कोविड कंट्रोल रूम में सम्पर्क कर हाॅस्पिटल में भर्ती होना चाहिए।
मास्क अवश्य पहने, मास्क का कोई अल्टरनेटिव नहीं है, जरा सा भी लक्षण दिखे तो तुरंत कराएं कोरोना की जांच डॉ प्रिंस जैन – शहर के प्रसिद्ध एमडी मेडिसिन डाॅ. प्रिंस जैन ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से कॉविड के केसेस लगातार बढ़ रहे हैं, इसके साथ ही आईसीयू में आने वाले मरीजों की संख्या में भी लगातार वृद्धि हो रही है। हर एक नागरिकों को गंभीरतापूर्वक समझना होगा कि हम कहीं ना कहीं कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने में लापरवाही बरत रहे हैं, यह डिसीज एक लेवल पर कंट्रोल हो गया था पर वापस से फिर बढ़ रही है। डाॅ. जैन ने कहा कि लोगों की सामान्य भूल या समझ हैं कि ‘मुझे कोविड हो गया होगा और मैं ठीक हो गया हूं और मेरी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ गई है’। यह समझ बिल्कुल गलत है। शुरुआत इस बीमारी की हमेशा माइल्ड सिम्पटम से ही होती है, अगर हम उस समय सचेत हो जाएं, डॉक्टर के निगरानी में आए अपना टेस्ट कराएं और ट्रीटमेंट लेंगे तो रिकवरी के चांसेस ज्यादा हैं, पर यदि हम खुद होकर दवाईयां खाईगें और टेस्ट नहीं करेंगे, टेस्ट से बचेंगे तो नुकसान हम खुद का करेंगे। इसी तरह अगर लक्षण आने के बावजूद हम बिना टेस्ट कराए, सब जगह घूमेंगे तो बाकी जगह भी हम सबको इंफेक्शन फैला सकते हैं। डॉ. जैन ने कहा कि हो सकता है आपकी प्रतिरोधक क्षमता अच्छी हो। हो सकता है आप उन 90 प्रतिशत केसेस में हो जिसमें माइल्ड सिम्टम्स आकर डिसीज ठीक हो जाते है। पर आपकी यह लापरवाही उन लोगों को भारी पड़ेगी जिनकी इम्यूनिटी अच्छी नहीं है जो कैंसर, किडनी, डायबिटीज के पेशेंट है, जो बुजुर्ग हैं। उनमें इस बीमारी के फैलने के चांसेस बहुत ज्यादा होते हैं।
डॉ. जैन ने लोगों से अनुरोध किया है कि मास्क पहने, मास्क का कोई अल्टरनेटिव नहीं है, वैक्सीन आपको एंटीबॉडी देगा, वायरस के एंट्री को ब्लॉक नहीं कर सकता। हम सभी को मास्क पहनने, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने, भीड़भाड़ में जाने से बचने और सैनिटाइजेशन का उपयोग करते रहने जैसेे प्रोटोकॉल का लंबे समय तक पालन करना होगा। तभी बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है।

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