न्यायाधीशों की कमी व रिक्त पदों पर भर्ती का सांसद ने उठाया सवाल
छत्तीसगढ़ के न्यायालयों में 94 पर अभी भी रिक्त
नई दिल्ली। कोरबा लोकसभा क्षेत्र की सांसद श्रीमती ज्योत्सना चरणदास महंत ने विधि और न्याय मंत्रालय न्याय विभाग के विषयों पर चर्चा करते हुए विधि और न्याय मंत्री से देश के न्यायालयों में न्यायाधीशों की कमी तथा इनके रिक्त पदों के संबंध में आंकलन व राज्यवार ब्यौरा की जानकारी चाही। तारांकित प्रश्न के माध्यम से सांसद ने यह भी जानना चाहा कि क्या विगत 3 वर्षों के दौरान उक्त रिक्त पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया आरंभ हो गई है और क्या छत्तीसगढ़ में ऐसे रिक्त पदों की संख्या के संबंध में कोई आंकलन किया गया है?
सांसद के प्रश्न के जवाब में विधि और न्याय, संचार तथा इलेक्ट्रानिकी और सूचना प्रौद्योगिक मंत्री रविशंकर प्रसाद ने जानकारी दी कि उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति का प्रस्ताव प्रारंभ करना भारत के मुख्य न्यायमूर्ति में निहित होता है जबकि उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के लिए संबंद्ध उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति में यह निहित है। उच्च न्यायालय में रिक्तियों का भरा जाना कार्यपालिका और न्यायपालिका के मध्य एक सहयोगकारी और एकीकृत प्रक्रिया है जिसमें केन्द्र व राज्य दोनों स्तर पर विभिन्न संवैधानिक प्राधिकारियों से परामर्श और अनुमोदन अपेक्षित होता है। कुछ राज्यों में न्यायिक अधिकारियों की भर्ती संबंधित उच्च न्यायालय करते हैं और जबकि अन्य राज्यों में राज्य लोक सेवा आयोग के साथ परामर्श कर उच्च न्यायालय भर्ती करते हैं। केन्द्र सरकार की इस मामले में कोई भूमिका नहीं होती। भर्ती एक सतत और चालू रहने वाली प्रक्रिया है तथा प्रत्येक वर्ष की रिक्तियां या तो पूर्णत: या भागत: भरी जाती है। जिला न्यायाधीश (प्रवेश स्तर) 31 मार्च को कैलेंडर वर्ष के प्रारंभ होने पर और 31 अक्टूबर तक उस वर्ष के समाप्त होनेे तक अधिसूचित की जाती है।
विधि एवं न्याय मंत्री ने जानकारी दी कि छत्तीसगढ़ राज्य में 28 फरवरी 2021 को अधिनस्थ न्याय पालिका में न्यायिक अधिकारियों की स्वीकृत पद संख्या 481 के विरूद्ध कार्यरत पद संख्या 387 एवं रिक्तियां 94 पदों पर है। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में कुल स्वीकृत पद 22 हैं जिनमें से 14 कार्यरत व रिक्त पद 8 हैं। 2018 में 4 पदों पर भर्ती की गई जबकि 2019 व 2020 में नियुक्ति नहीं हुई है।