रायपुर। सुप्रीम कोर्ट ने पदोन्नति मामले में यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया है। इस आदेश के बाद सर्वोच्च अदालत के अगले आदेश तक न ही किसी को पदोन्नति दी जा सकती है और न किसी को पदावनत किया जा सकता है।
छत्तीसगढ़ बिजली कंपनी के कर्मचारी निरंजन कुमार ने पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट के सामने स्पेशल लीव पिटीशन लगाकर बिलासपुर उच्च न्यायालय के फरवरी 2019 में दिए फैसले को चुनौती दी थी। उस फैसले में उच्च न्यायालय ने छत्तीसगढ़ पदोन्नति नियम की धारा पांच को निरस्त कर दिया था।
इस केस में सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव, पुलिस महानिदेशक समेत कई विभागों के प्रमुखों को पक्षकार बनाया गया है। सर्वोच्च न्यायालय का यह आदेश 12 फरवरी का है, लेकिन अब सामने आया है। संविधानिक मामलों के विशेषज्ञ बीके मनीष ने बताया, सर्वोच्च न्यायालय के दो जजों की बेंच ने पदोन्नति में आरक्षण मामले पर स्टेटस का (यथा-स्थिति) आदेश दिया है।
00 उच्च न्यायालय में चल रहे मामले पर असर नहीं
बीके मनीष का कहना था, सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश से बिलासपुर उच्च न्यायालय में लंबित अक्टूबर 2019 के नए नियम 5 पर चुनौती की सुनवाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा। रिवर्ट कराने के लिए लगाई गई अवमानना याचिका जिस पर 17 फरवरी को निर्णय को सुरक्षित रख लिया गया है, उस पर भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा।