आवेदकों-पक्षकारों को नहीं लगाने पड़ेंगे पटवारी के चक्कर, अब काम होगा ऑनलाइन

पटवारी सत्यापन एवं निगरानी प्रणाली‘ का बनाया गया वेब ऐप्लिकेशन
रायपुर।
पटवारियों पर निर्भरता न्यून करने तथा निर्धारित समयावधि में नागरिकों से संबंधित राजस्व मामले जैसे नामांतरण, बंटवारा, सीमांकन आदि कार्यों के सुचारू एवं त्वरित निराकरण के लिए रायपुर जिला प्रशासन द्वारा अभिनव पहल करते हुए रायपुर तहसील के लिए ‘पटवारी सत्यापन एवं निगरानी प्रणाली‘ वेब ऐप्लिकेशन बनाया गया है। प्रदेश के लिए यह अपने तरह का पायलट प्रोजेक्ट है।
कलेक्टर डॉ एस.भारतीदासन एवं सहायक कलेक्टर सुश्री नम्रता जैन के मार्गदर्शन में जिला सूचना विज्ञान केन्द्र, रायपुर द्वारा ‘पटवारी सत्यापन एवं निगरानी प्रणाली‘ एक सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है। इसके लिए आज कलेक्टोरेट में पटवारियों को प्रशिक्षण दिया गया।
इस प्रणाली को बनाने का मूल उद्देश्य आवेदकों एवं पक्षकारों के न्यायालयीन प्रकरणों एवं कार्यालयीन आवेदनों के निराकरण के लिए अनिवार्य घटक पटवारी के प्रतिवेदनों को ऑनलाइन प्रणाली के माध्यम से यथाशीघ्र एवं सरलता से प्राप्त करना है, जिससे आवेदकों एवं पक्षकारों को पटवारी के पास जाने की आवश्यकता से मुक्ति मिल सकेगी।
इस साफ्टवेयर में मुख्यतः दो घटक है:- एक- पटवारी और दूसरा-राजस्व अधिकारी (अनुविभागीय अधिकारी/तहसीलदार/नायब तहसीलदार)। साफ्टवेयर में दो प्रकार के आई.डी. निर्मित होगें। एक पटवारी के लिए और दूसरा तहसीलदार/नायब तहसीलदार के वाचक के लिए। इस प्रक्रिया में राजस्व अधिकारियों जैसे अनुविभागीय दण्डाधिकारी के वाचक पटवारी प्रतिवेदन के लिए जारी ज्ञापन को संबंधित पटवारी की आई.डी. इंटरफेस में प्रतिवेदन के लिए अपलोड करेगें एवं उसकी हस्ताक्षरित प्रति न्यायालय भेजना सुनिश्चित करेगें।
न्यायालयीन प्रकरणों के अलावा भी बहुत से कार्यालयीन/न्यायालयीन आवेदनों, समय-सीमा के पत्र, जनशिकायत इत्यादि में भी पटवारी प्रतिवेदन, स्थल निरीक्षण जांच, पंचनामा आदि की आवश्यकता होती है। इस साफ्टवेयर के माध्यम से ऐेसे प्रतिवेदनों के लिए भी पृथक से विण्डो बनाया गया है। साफ्टवेयर में एक डैश बोर्ड भी होगा, जिसमें राजस्व अधिकारी/पटवारी हल्कावार लंबित आवेदनों की विस्तृत जानकारी एक्सेलशीट में प्राप्त की जा सकेगी।
इस वेब ऐप्लिकेशन के माध्यम से जिला स्तर पर पटवारियों के कार्यों पर सतत् निगरानी एवं समीक्षा की जाएगी, जिससे राजस्व न्यायालय में कार्य सुगमता एवं शीघ्रता से होगें तथा आवेदकों और नागरिकों के कार्यों के निराकरण में तेजी आयेगी एवं समय की बचत होगी। इससे न्यायालय में लंबित कार्यों की संख्या भी कम होगी।

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