भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में अपनी सेनाएं हटाने के लिए सहमत

नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे पर अपनी सेनाएं हटाने के लिए सहमत हो गए है। आज राज्यसभा में एक वक्तव्य में उन्होंने कहा कि चीन के साथ बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस संकल्प का ध्यान रखा गया जिसमें कहा गया है कि भारत अपनी एक इंच जमीन भी नहीं देगा। रक्षा मंत्री ने कहा कि वार्ता के दौरान भारत के रूख के अनुकूल परिणाम मिले हैं।
दोनों देशों के बीच हुए समझौते का विवरण देते हुए श्री सिंह ने कहा कि दोनों पक्ष चरणबद्ध, समन्वित और सत्यापित तरीके से अपनी आगे की तैनाती को रोक देंगे। उन्होंने कहा, चीनी सेना झील के उत्तरी किनारे पर फिंगर -8 के पूर्व में अपनी सैन्य उपस्थिति बनाए रखेगा। दूसरी ओर भारतीय सैना फिंगर -3 के पास धन सिंह थापा चौकी पर बनी रहेगी। रक्षा मंत्री ने कहा कि दोनों पक्षों द्वारा झील के दक्षिणी किनारे पर भी इसी तरह की कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष अप्रैल के बाद झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों पर बनाए गए सभी ढांचों को हटा दिया जाएगा। श्री सिंह ने बताया कि दोनों पक्ष झील के उत्तरी किनारे पर सैन्य गतिविधियों पर अस्थायी रोक लगाने पर सहमत हो गए हैं, जिसमें पारंपरिक क्षेत्रों में गश्त भी शामिल है। रक्षा मंत्री ने कहा कि यह गश्त फिर से तभी शुरू की जाएगी जब दोनों पक्ष इस पर सहमत हो जाएं। उन्होंने बताया कि पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों पर कल से द्विपक्षीय समझौते का कार्यान्वयन शुरू हो गया है। श्री सिंह ने बताया कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर कुछ अन्य स्थानों पर तैनाती और गश्त को लेकर अभी भी कुछ मुद्दे सुलझाए जाने है। उन्होंने कहा कि चीन के साथ आगे की बातचीत में इन पर ध्यान दिया जाएगा। रक्षा मंत्री ने कहा कि दोनों पक्ष जल्द से जल्द सेनाओं की वापसी और द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन करने पर सहमत हुए हैं। श्री सिंह ने सदन से सशस्त्र बलों के प्रति आभार व्यक्त करने का आग्रह करते हुए कहा कि उन्होंने इस समझौते के लिए लद्दाख की अत्यंत कठोर जलवायु परिस्थितियों में धैर्य और संकल्प का प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा कि देश बहादुर सैनिकों के उस बलिदान को हमेशा याद रखेगा जो पैंगोंग झील पर सेनाओं की वापसी की नींव रही। रक्षा मंत्री ने कहा कि एक साल तक चली राजनयिक और सैन्य बातचीत के बाद यह समाधान हुआ। उन्होंने बताया कि अब तक दोनों पक्षों के वरिष्ठ कमांडरों की बैठकों के नौ दौर हो चुके हैं। श्री सिंह ने कहा कि इन चर्चाओं में, भारत का दृष्टिकोण उन प्रमुख सिद्धांतों पर आधारित था, जिसमें दोनों पक्षों द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा का सम्मान करना, यथास्थिति को एकतरफा बदलने का प्रयास न करना और दोनों पक्षों द्वारा किए गए समझौतों और आपसी सहमति का सख्ती से पालन करना शामिल है।

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