नई दिल्ली। देश के 140 वकीलाें ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीय एसए बोबडे़ को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि दिल्ली के सीमावर्ती क्षेत्रों में इंटरनेटबंदी न करने के लिए केंद्र को निर्देश दिए जाएं। इन क्षेत्रों में किसानों द्वारा केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन किए जा रहे हैं।
साथ ही जांच आयोग बनाकर 29 जनवरी को प्रदर्शनकारियों से हिंसा कर रहे समूहों को पुलिस द्वारा सहायता देने और हिंसा रोकने में नाकाम रहने के आरोपों की जांच का भी निवेदन किया गया है।
पत्र में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा इंटरनेटबंदी के आदेश का स्वत: संज्ञान लेते हुए इन्हें रद करने का निवेदन किया गया है ताकि किसानों के विरोध प्रदर्शन के अधिकार का हनन न हो। वकीलों के अनुसार भविष्य में भी धरना स्थलों व प्रदर्शन प्रभावित क्षेत्रों में इंटरनेट बंद करने के आदेश देने से मंत्रालय को रोका जाए। अधिवक्ता अभिषेक हेला और सितवत नबी ने कहा कि कई रिपोर्ट में सामने आया कि है कि करीब 200 बदमाशाें ने सिंघू बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों और पत्रकारों से हिंसा की।
कई टीवी समाचार चैनलों और पत्रकारों ने अफवाह व भड़काने वाली सामग्री फैलाई, उनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाए। टीवी चैनल वाले किसानों को आतंकवादी और खालिस्तानी कह कर बुला रहे थे, ताकि जनमानस में उनकी छवि खराब कर सकें। इस पत्र, जिसमें 140 वकीलाें के हस्ताक्षर बताए जा रहे हैं, के अनुसार इंटरनेट बंद कर देकर गृह मंत्रालय व केंद्र सरकार ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग और प्रदर्शनकारियों व आम नागरिकों के मूल अधिकार का हनन किया है।
00 फिलहाल इंटरनेट बंद नहीं होगा: गृह मंत्रालय
गृह मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि फिलहाल दिल्ली बॉर्डर क्षेत्रों में इंटरनेट बंद नहीं होगा। पूर्व में दिए आदेश दो फरवरी की मध्य रात्रि तक केलिए थे। इन्हें आगे नहीं बढ़ाया जा रहा है। मंत्रालय ने सिंघू, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डरों पर किसानाें के प्रदर्शन को देखते हुए 29 जनवरी रात 11 बजे से 2 फरवरी रात 11 बजे तक इंटरनेट बंद करने के आदेश दिए थे। मंत्रालय का दावा था कि यह आदेश जन सुरक्षा व आपात स्थिति को टालने के लिए दूरसंचार सेवा नियमावली 2017 के तहत दिए गए।