नई दिल्ली। कोरोना का टीका लोगों को मुफ्त या रियायती देने का फैसला राज्य सरकारों को देना होगा। 2 राज्यों बिहार और केरल में टीका मुफ्त देने की घोषणा हो चुकी है, फिलहाल केंद्र सरकार के पास कोई प्रस्ताव नहीं भेजा गया है। केंद्र ने बजट में कोरोना टीकाकरण के लिए 35 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
राज्यसभा में केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे ने बताया पहले चरण में सभी राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों को टीके की 2.28 करोड़ खुराक निशुल्क उपलब्ध कराई गई है। इनका इस्तेमाल स्वास्थ्य व अगले मोर्चे पर तैनात कर्मचारियों के लिए किया जा रहा है। 1 फरवरी तक देश में 39.50 लाख लोगों को निशुल्क टीका दिया जा चुका है। अभी तक किसी राज्य ने मुफ्त टीका देने की जानकारी केंद्र से साझा नहीं की है।
उधर, केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि बजट में आवंटित राशि का इस्तेमाल टीके खरीदने में किया जाएगा। केंद्र और राज्य से 60:40 के अनुपात में खर्च कर सकती है। स्वास्थ्य क्षेत्र राज्य की सूची में है इसलिए आगे की रणनीति इसी पर निर्भर होगी।
00 92.6 लाख से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मियों को लगेगा टीका
चौबे ने राज्यसभा में प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया, कोरोना टीकाकरण अभियान के दौरान केंद्रीय, राज्यीय और निजी स्वास्थ्य संगठनों के 92,61,227 स्वास्थ्यकर्मियों को टीका लगना है। इनमें से असम के 2,10,359, आंध्र प्रदेश के 4,38,990, बिहार के 4,68,790, दिल्ली के 2,78,343, गुजरात के 5,16,425, कर्नाटक के 7,73,362, केरल के 4,07,016, मध्य प्रदेश के 4,29,981, महाराष्ट्र के 9,36,857, राजस्थान के 5,24,218, तमिलनाडु के 5,32,605, उत्तर प्रदेश के 9,06,752 और पश्चिम बंगाल के 7,00,418 स्वास्थ्यकर्मी शामिल हैं।
00 बीते चार महीनों से मामलों में गिरावट :
चौबे के मुताबिक, देश में पिछले चार महीने से कोविड-19 के मामलों में गिरावट देखने को मिली है। देश में स्वस्थ होने की दर 96.94 फीसदी है और मृत्युदर 1.44 फीसदी है। अपने समान परिस्थितियों वाले देशों की तुलना में भारत में प्रति दस लाख की आबादी पर संक्रमण और मौत के मामले सबसे कम हैं। भारत में प्रति दस लाख की आबादी पर 7778 संक्रमण मामले और 112 मौत हुई हैं।
राज्यों से जानकारी मिलने के बाद केंद्र सरकार ने कोविड-19 से अपनी जान गंवाने वाले कोरोना योद्धाओं का ब्योरा तैयार किया है। मृतकों के परिजनों को आर्थिक मदद दी गई है। 30 जनवरी, 2020 को देश में कोरोना का पहला मरीज मिला था और 24 मार्च को जनता कर्फ्यू लागू कर दिया गया। तब तक मामले कम थे, लेकिन लॉकडाउन के दौरान संक्रमित होने के मामले बढ़ने लगे, जिससे चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। अब तक देश में पांच हजार से ज्यादा डॉक्टर कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। जबकि नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ की संख्या हजारों में हैं। अकेले दिल्ली एम्स में ही 2300 से अधिक स्वास्थ्य कर्मी संक्रमित हुए और छह की मौत हुई।