नई दिल्ली। केंद्र सरकार को पूर्वी भारत के संपूर्ण और संतुलित विकास के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध बताते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को कहा कि पूर्वोत्तर में स्थायी शांति के लिए संवेदनशीलता और सहभागिता की जिस नीति के साथ काम किया गया है, उसका लाभ आज साफ दिख रहा है। कोविंद ने बजट सत्र के पहले दिन संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए कहा, सरकार ने पूर्वोत्तर में स्थायी शांति के लिए संवेदनशीलता और सहभागिता की जिस नीति के साथ काम किया उसका लाभ आज साफ दिख रहा है। आज पूर्वोत्तर में उग्रवाद समाप्ति की ओर है और हिंसा की घटनाओं में बड़ी कमी आई है। हिंसा के रास्ते पर भटके युवा अब विकास और राष्ट्र-निर्माण की मुख्यधारा में लौट रहे हैं। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर की भौगोलिक, सांस्कृतिक, भाषाई विशेषताओं और सामाजिक पहचान को सुरक्षित रखते हुए तेज़ विकास की नीति पर काम किया जा रहा है। कोविंद ने कहा कि ब्रह्मपुत्र नदी असम सहित उत्तर-पूर्वी राज्यों की ‘जीवनधारा’ है। इसी जीवनधारा को आर्थिक गतिविधियों का आधार बनाकर विभिन्न राष्ट्रीय जलमार्गों के आरंभ के लिए काम हो रहा है। इसका लाभ पूर्वोत्तर के किसानों, युवाओं और उद्यमियों, सभी को होगा। उन्होंने कहा कि ‘अर्थ ब्रह्मपुत्र’ कार्यक्रम से ‘समेकित राष्ट्रीय जलमार्गों’ का विकास कर, ब्रह्मपुत्र और बराक नदी को विकास की धारा बनाने का प्रयास जारी है। राष्ट्रपति ने कहा कि ब्रू शरणार्थियों के पुनर्वास को शांति और सौहार्द के साथ पूरा किया जा रहा है। उन्होंने कहा, इसी प्रकार ऐतिहासिक बोडो शांति समझौता भी हुआ है, जिसे सफलता-पूर्वक लागू किया गया है। समझौता होने के बाद इस बार बोडो क्षेत्रीय परिषद के चुनाव भी सफलता के साथ पूरे हुए हैं।