स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को जोड़ने वाली आठ ट्रेनों को प्रधानमंत्री मोदी ने दिखाई हरी झंडी

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को आज एक साथ 8 ट्रेनों का तोहफा दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए गुजरात के केवडिया में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को जोड़ने वाली आठ ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई। इस मौके पर गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और रेल मंत्री पीयूष गोयल भी मौजूद रहे। ये ट्रेनें केवड़िया (स्टैच्यू ऑफ यूनिटी) से वाराणसी, दादर, अहमदाबाद, हजरत निजामुद्दीन, रीवा, चेन्नई और प्रतापनगर को जोड़ेंगी। संभवतः भारतीय रेलवे के इतिहास में यह पहला मौका है जब एक साथ देश के अलग-अलग कोने से एक ही जगह के लिए इतनी ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई गई हो।
वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये आयोजित हुए इस समारोह के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने दभोई-चांचोड़ आमान परिवर्तन, चांचोड़-केवड़िया आमान परिवर्तन नवनिर्मित प्रतापनगर-केवड़िया खंड के विद्युतीकरण और दभोई, चांचोड़ और केवड़िया स्टेशनों की नई इमारतों का उद्घाटन भी किया। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि रेलवे के इतिहास में संभवत: पहली बार ऐसा हो रहा है जब एक साथ देश के अलग-अलग कोने से एक ही जगह के लिए इतनी ट्रेनों को हरी झंड़ी दिखाई गई हो।
पीएम मोदी ने तमिलनाडु के दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री एमजी रामचंद्रन को उनकी जयंती पर याद किया और श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि हम एमजीआर के आदर्शों का पूरा करने के लिए प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा, आज केवड़िया के लिए निकल रही ट्रेनों में एक ट्रेन पुरैच्ची तलैवर डॉ. एमजी रामचंद्रन सेंट्रल रेलवे स्टेशन से भी आ रही है. ये भी सुखद संयोग है कि आज भारत रत्न एमजी रामचंद्रन की जयंती भी है।
आपको बता दें कि केवड़िया रेलवे स्टेशन नई सुविधाओं से लैस है। यह देश का पहला ग्रीन बिल्डिंग सर्टिफिकेट वाला रेलवे स्टेशन है। आठ शहरों से स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के जुड़ जाने से देश के पर्यटकों को आने में यहां काफी सुविधा हो जाएगी, वहीं राज्य के राजस्व में भी काफी वृद्धि होने की संभावना है। इस योजना के साथ ही भारतीय रेलवे के मैप पर विश्व की सबसे बड़ी प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को भी जगह मिल जाएगी। साथ ही केवड़िया रेल लिंक से राज्य में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। आपको बता दें कि अब तक स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के दर्शन के लिए पर्यटकों को वडोदरा, भरूच और अंकलेश्वर रेलवे स्टेशन पहुंचना पड़ता था।

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