नहीं होंगे सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित समिति के सामने पेश : किसान संगठन

नई दिल्ली। गाज़ीपुर बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन आज 46वें दिन भी जारी है। भारतीय किसान यूनियन के राजवीर सिंह जादौन ने कहा -हम कोर्ट से अपेक्षा करेंगे कि कानूनों को खत्म करने का आदेश दे और एमएसपी पर कानून बने। एक रिपोर्ट के अनुसार किसान समूहों ने तीन कृषि सुधार कानूनों पर चल रहे संकट को हल करने के लिए एक समिति नियुक्त करने के सुप्रीम कोर्ट के सुझाव को खारिज कर दिया है। संगठनों का कहना है कि सोमवार को अदालत में केंद्र के रवैये से यह स्पष्ट होता है कि सरकार ऐसी समिति में तीन कानूनों को रद्द करने की किसानों की मांग पर चर्चा करने के लिए सहमत नहीं होगी।
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने सोमवार देर रात जारी बयान में कहा `कृषि बिल को लागू करने से रोकने के लिए सभी संगठन माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। लेकिन सामूहिक रूप से और व्यक्तिगत रूप से सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति के समक्ष किसी भी कार्यवाही में भाग लेने के लिए तैयार नहीं हैं। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा -हम सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद करते हैं कि उन्होंने किसानों का पक्ष वहां पर रखा। सुप्रीम कोर्ट ने पहली सुनवाई में भी कहा था कि सरकार किसानों के साथ बातचीत करें। कृषि क़ानून केंद्र सरकार ने बनाए हैं तो इसे वापस भी सरकार ही लेगी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कृषि सुधार बिलों से संबंधित विषय सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विचाराधीन है इसलिए इस समय इसपर कोई टिप्पणी करने की कोई आवश्यकता मुझे प्रतीत नहीं होती। किसान आंदोलन के परिणाम स्वरूप सरकार द्वारा जो कुछ करने योग्य था, वो सरकार ने चर्चा के माध्यम से भी किया और किसानों की बात को समझकर जो आवश्यक संशोधन किए जा सकते हैं, उनपर भी विचार का प्रस्ताव किसान यूनियनों के सामने रखा है।

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