खुड़मुड़ा हत्याकांड पर डीजीपी ने ली पुलिस अधिकारियों की क्लास, जांच में आई तेजी

दर्जनभर से अधिक नई टीमें नए टास्क के साथ विवेचना में हुई सक्रिय
भिलाई।
प्रदेश के डीजीपी डीएम अवस्थी द्वारा शनिवार को अमलेश्वर थाना में लिए गये जिले के पुलिस अधिकारियों की क्लास के बाद खुड़मुड़ा हत्याकांड की जांच में अब और अधिक तेजी आई है। दर्जन भर से अधिक पुलिस की नई टीमें अपने मुखिया से मिले नए टास्क के साथ जमीनी स्तर पर मामले का जल्द खुलासा करने सक्रिय हो चुकी है। अविभाजित कुम्हारी के साथ अमलेश्वर थाने सेवा दे चुके पूर्व थाना प्रभारियों को भी जाचं में लगा दिया गया है।
दुर्ग जिले के अमलेश्वर थाना अंतर्गत खुड़मुड़ा में हुई एक परिवार के चार लोगों के हत्या की गुत्थी सुलझाने पुलिस ने जांच की दिशा में आंशिक परिवर्तन किया है। पुलिस महानिदेशक डीएम अवस्थी ने शनिवार को अमलेश्वर पहुंचकर आईजी विवेकानंद सिन्हा व एसपी प्रशांत ठाकुर सहित जांच टीमों का अलग-अलग नेतृत्व कर रहे राजपत्रित श्रेणी के अधिकारियों से बात की। बताते हैं श्री अवस्थी ने अब तक के जांच की समीक्षा करते हुए जिले के आला अधिकारियों की जमकर क्लास ली। इसके साथ ही उनके द्वारा मामले के खुलासे के लिए जांच का दायरा बढाते हुए अपनी तरफ से कुछ नए टास्क दिए है।
दअसल, खुड़मुड़ा में एक ही परिवार के दो पुरुषों के साथ उनकी पत्नियों की हत्या हुई है। ऐसे में वारदात की वजह अवैध संबंध हो सकता है। पीडि़त परिवार पर भू माफिया और आसपास के जमीन खरीद चुके बिल्डर्स के द्वारा खेत बेचने का दबाव होने की भी चर्चा है। परिवार के मुखिया व मृतक बालाराम सोनकर के बारे में यह भी पता चला है कि वह तांत्रिकों के जैसे पूजा पाठ करता था। पीडि़त परिवार का व्यवसाय खेतों में सब्जी उगाकर राजधानी में बेचने का है। ऐसे में तांत्रिक सिद्धी या फिर सब्जी के व्यवसायिक लेनदेन में विवाद की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा रहा है। खेतों में पंप के लिए लगाए गए बिजली केबल चोर गिरोह और जमीन संबंधी पारिवारिक विवाद भी वारदात का एक कारण हो सकती है।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक खुड़मुड़ा मामले में अवैध संबंध, भू माफिया, बिल्डर्स, तांत्रिक सिद्धी, सब्जी व्यवसाय, बिजली केबल चोर के साथ-साथ पारिवारिक विवाद व जमीन बंटवारा में विवाद की संभावनाओं के तहत जांच के दायरे को विस्तृत किया गया है। पुलिस महानिदेशक डीएम अवस्थी के निर्देश पर अलग-अलग बिन्दुओं में विशेष महारथ रखने वाले अनुभवी अधिकारी से लेकर प्रधान आरक्षक और आरक्षकों को उनकी योग्यता के अनुसार जिम्मेदारी दी गई है।
खास बात यह भी है कि अविभाजित कुम्हारी व हाल के वर्षों में अस्तित्व में आये अमलेश्वर थाने में बतौर प्रभारी सेवा दे चुके जिले में पदस्थ जितने भी अधिकारी है उनको भी जांच के लिए गठित टीम में रखा गया है। दरअसल अमलेश्वर पहले पुलिस चौकी के रूप में कुम्हारी थाने की सीमा में समाहित था। आला अधिकारियों को उम्मीद है कि कुम्हारी व अमलेश्वर में थाना प्रभारी रह चुके अधिकारियों के पुराने संपर्क सूत्र का लाभ खुड़मुड़ा हत्याकांड का खुलासा करने में मिल सकता है। यहां पर यह बताना भी लाजिमी होगा कि प्रदेश में नई सरकार गठन के कुछ दिन बाद पुलिस की क्राइम ब्रांच को भंग कर दिया गया है। क्राइम ब्रांच में अपनी सेवाकाल के दौरान काम कर चुके ऐसे अधिकारी, प्रधान आरक्षक और आरक्षक जो वर्तमान में दुर्ग जिले में पदस्थ है, उन सभी की सेवाएं खुड़मुड़ा हत्याकांड के मामले में ली जा रही है। इस तरीके से मामले को सुलझाने में दर्ज भर के लगभग टीम सक्रिय है। इन टीमों को एएसपी स्तर के दो तथा डीएसपी स्तर के पांच अधिकारी अपना मार्गदर्शन दे रहे हैं।
00 तकनीकी व फारेंसिक टीम भी जुटी
इस हत्याकांड के खुलासे के लिए पुलिस की तकनीकी और फारेंसिक विशेषज्ञों की टीमें भी जुटी हुई है। तकनीकी टीम घटना दिनांक सहित कुछ दिन पहले और बाद में इलाके की मोबाइल फोन के सक्रियता का बारीकी से जांच कर अपराधी तक पहुंचने की जुगत में है। फारेंसिक विशेषज्ञों की टीम भी अपनी स्तर पर विवेचना में मदद कर रही है। इलाके के अनेक सीसीटीवी कैमरों के फुटेज को पुन: नये सिरे से अलग-अलग अधिकारी खंगालते हुए आरोपी का सुराग जुटाने में लगे हुए हैं।

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