श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 की समाप्ति के बाद तेजी से वहां के हालात बदल रहे हैं। राज्य में पहली बार हुए जिला विकास परिषद (डीडीसी) चुनाव में लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। इस चुनाव में सरेंडर कर चुके एक आतंकवादी ने भी अपनी किस्मत आजमाई है। इतना ही नहीं, उन्होंने आतंकवादियों से हिंसा छोड़कर शांति के रास्ते पर साथ चलने की अपील भी की है।
रजौरी जिला के दरहाल मलकान सीट से चुनाव लड़ रहे मुनाफ मलिका ने कहा, मैंने एक आंतकवादी संगठन के लिए सात वर्षों तक डिविजनल कमांडर के तौर पर काम किया। मैं आतंकवादियों से अपील करता हूं कि हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में शामिल हों।
जम्मू-कश्मीर में जिला विकास परिषद (डीडीसी) चुनाव शनिवार को संपन्न हो गया। इस चुनाव में कुल मिलाकर करीब 51 प्रतिशत मतदान हुआ। अब मतों की गिनती 22 दिसंबर को होगी। राज्य निर्वाचन आयुक्त के के शर्मा ने यहां बताया कि शनिवार को आठवें और अंतिम चरण के मतदान में 28 निर्वाचन क्षेत्रों में करीब 51 प्रतिशत मतदान हुआ। ये क्षेत्र केंद्र शासित प्रदेश के 18 जिलों में फैले हैं। जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा वापस लिए जाने के बाद पहली बार यहां चुनाव हो रहे हैं। शर्मा ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि कुछ मामूली घटनाओं को छोड़कर मतदान शांतिपूर्ण रहा।
शर्मा ने कहा कि चुनाव के अंतिम चरण में 50.98 प्रतिशत मतदान हुआ। जम्मू संभाग में अंतिम चरण मं् 72.71 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया वहीं कश्मीर घाटी में 29.91 प्रतिशत मतदान हुआ। उन्होंने कहा कि अंतिम चरण में 3.21 लाख से अधिक मतदाता मतदान के लिए बाहर आए। शर्मा ने कहा कि अंतिम चरण में, कश्मीर घाटी में कुपवाड़ा जिले में सबसे अधिक 63.8 प्रतिशत मतदान हुआ जबकि बांदीपोरा में 56.5 प्रतिशत, बारामुला में 44.6 प्रतिशत, बडगाम में 35.12 प्रतिशत, कुलगाम में 11.2 प्रतिशत मतदान हुआ।
उधर जम्मू क्षेत्र में, पुंछ में सबसे अधिक 83.58 प्रतिशत मतदान हुआ। इसके बाद रियासी में 81.92 प्रतिशत, राजौरी में 77.31 प्रतिशत और कठुआ में 73.93 प्रतिशत मतदान हुआ। शर्मा ने कहा कि मतदान शांतिपूर्ण माहौल में हुआ और किसी बड़ी घटना की कोई खबर नहीं है। उन्होंने कहा कि पुंछ में एक उम्मीदवार को पथराव का सामना करना पड़ा और उनके सुरक्षाकर्मी ने भीड़ को भगाने के लिए हवा में गोलियां चलाई। इससे लोग तितर-बितर हो गए।