तहसील कार्यालय में भटक रहें किसान, नही हुआ रकबा पंजीयन

गरियाबंद। शासन के निर्देश पर जिले में 11 से 13 दिसंबर तक रकबा पंजीयन का काम तो हुआ मगर अब भी जिले में कई ऐसे किसान है जिनके रकबे का पंजीयन नही हुआ। पीड़ित किसानों ने इसके पीछे साजिश की शंका जाहिर की है।
देवभोग क्षेत्र के ये है हालात
रकबा पंजीयन का काम देवभोग तहसील में भी हुआ। 11 से 13 दिसंबर के दौरान तकरीबन 150 किसान अपने धान रकबे का पंजीयन कराने तहसील कार्यालय पहुंचे। तहसील कर्मियों ने रविवार को छुट्टी के दिन भी पंजीयन का काम जारी रखा। विभागीय अधिकारियों ने इस दौरान 96 किसानों के रकबे का पंजीयन करने का दावा किया है।
नायब तहसीलदार का दावा
देवभोग नायब तहसीलदार अभिषेक अग्रवाल ने बताया कि इन तीन दिनो में किसानों के 150 से भी ज्यादा आवेदन प्राप्त हुए थे। कुछ नए पंजीयन के थे तो कुछ दूसरे तहसील के आवेदन भी प्राप्त हुए थे। रकबा संसोधन के मापदण्ड में 96 आवेदन मिले जिन्हें सुधार कर रकबा जोड़ दिया गया है। उन्होंने बताया कि संसोधन अवधि 13 दिसम्बर तक था। रविवार को भी दफ्तर खोल कर संसोधन के काम किया गया।
सैकड़ो किसान का अभी भी नही हुआ है पंजीकरण
देवभोग क्षेत्र में अभी भी सैकड़ो किसान अपना पंजीयन नही करवा पाए। संसोधन अवधि खत्म होने के बाद सोमवार को 50 से ज्यादा किसान तहसील कार्यालय पहूँचे, जिन्हें निराश होकर वापिस लौटना पड़ा। पीड़ितो के मुताबिक क्षेत्र में अभी भी 200 से अधिक किसान अपने रकबे का पंजीयन नही करवा पाए। इनमे ऐसे किसान भी शामिल है जिन्होंने उक्त भूमि पर धान बेचा, कर्ज लिया मगर इस बार पंजीयन नही हुआ।
किसानों का दुखड़ा
आवेदन लेकर तहसील कार्यालय पहुंचे धौराकोट के किसान भोला सिंह नागेश काफी मायूस दिखे। उन्होंने बताया कि उसके पास कूल 3.84 हैक्टेयर जमीन है, जिसमें वह वर्षो से धान बेचते आ रहा है। लेकिन इस बार उसका 3.04 हैक्टेयर रकबा पंजीयन में शामिल नही किया गया।
क्या किसानों हुए है साजिश के सीकर?
दरअसल किसानों को अपने रकबा कटौती की जानकारी तब हुई जब वे खरीदी केंद्र पर टोकन कटवाने पहूचे। किसानों ने दुखी मन से कहा कि जरूर उनके साथ साजिश हो रही है, रकबा कटौती की जांच होनी चाहिए। किसानों द्वारा जाहिर की गयी साजिश की आशंका को इसलिए भी बल मिल रहा क्योकिं, जितने आवेदन संसोधन के लिए मिले सभी का संसोधन हुआ। यानी गलत तरीके से काटा गया रकबा फिर से जोड़ा गया।

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