पुलिस थाने में स्टिंग ऑपरेशन करने वाले 4 पत्रकारों पर FIR दर्ज

वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने भी इस मामले में फेसबुक पोस्ट लिख अपनी प्रतिक्रिया दी हैं।
राजकोट।
पुलिस थाने में स्टिंग ऑपरेशन करना पत्रकारों को महंगा पड़ गया। स्टिंग ऑपरेशन करने वाले 4 पत्रकारों के खिलाफ पुलिस ने केस दर्ज किया है। स्टिंग ऑपरेशन करने वाले पत्रकारों पर एफआईआर का मामला सोशल मीडिया में काफी वायरल हो रहा है। स्टिंग ऑपरेशन करने वाले पत्रकारों पर पुलिस की कार्यवाही को लेकर सवाल भी उठाए जा रहे हैं।
दरअसल, गुजरात में राजकोट जिले के एक निजी कोविड-19 अस्पताल में 26 नवंबर को आग लग जाने का मामला सामने आया था। इस मामले में अस्पताल का संचालन करने वाली कंपनी के तीन वरिष्ठ अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया था। पुलिस कस्टडी में इन गिरफ्तार आरोपियों के साथ कैसा सलूक किया जा रहा है, इसे लेकर कुछ पत्रकारों ने थाने में स्टिंग ऑपरेशन किया।
मामले में रिपोर्टिंग करने के लिए कुछ पत्रकारों पर एफआईआर दर्ज कर ली गयी। पत्रकारों पर एफआईआर दर्ज होने का मामला सोशल मीडिया में काफी चर्चा में है। पुलिस की इस कार्रवाई पर लोग तल्ख़ प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।
एनडीटीवी के वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने भी इस मामले में फेसबुक पोस्ट लिख अपनी प्रतिक्रिया दी है। रवीश कुमार ने अपनी पोस्ट में FIR को पत्रकारिता को दबाने का नया हथियार बताया है। रवीश कुमार ने लिखा- पहले पत्रकारिता को सामने से ख़त्म कर दिया गया। लोगों को घटिया पत्रकारिता के ज़रिए बौद्धिक और सांप्रदायिक रूप से गुलाम बनाया गया। और अब स्थानीय स्तर पर बची हुई पत्रकारिता को ख़त्म किया जा रहा है।
रवीश कुमार ने लिखा कि राजकोट की इस ख़बर की तुलना आप उत्तर प्रदेश की कुछ घटनाओं से कर सकते हैं जहां प्रशासन की रिपोर्टिंग मात्र के कारण पत्रकारों पर FIR की गई है। दिल्ली से ख़बरों के आने के रास्ते बंद हैं।ज़िला स्तर से ख़बरें निकल कर आ जाती हैं. काम में बाधा और साज़िश के नाम पर ख़बरों के बाहर आने के रास्ते बंद किए जा रहे हैं।
रवीश कुमार ने आगे लिखा- डॉक्टरों को गिरफ़्तारी के बाद उनके साथ कैसा बर्ताव किया जा रहा है, ऐसी रिपोर्टिंग तो हज़ारों बार इस देश में हो चुकी है। फिर FIR क्यों ? क्या ये दमन नहीं है? क्या भारत देश का स्वाभिमान इतना छोटा होगा कि एक ख़बर लिखने पर FIR होगी? क्या आप दुनिया में सर उठा कर घूम सकेंगे कि आप ऐसे लोकतंत्र से आते हैं जहां ख़बर लिखने पर केस कर दिया जाता है?
वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार के इस फेसबुक पोस्ट पर लोगों के तरह -तरह के कमेंट देखने को मिल रहे हैं। कुछ लोग फेसबुक में रवीश कुमार की बातों का समर्थन कर रहे हैं। तो कुछ लोग उन्हें ट्रोल करते हुए लिख रहे हैं। कमेंट में लोग कह रहे हैं कि अब हमें इसी तरह के लोकतंत्र में जीने की आदत डाल लेनी होगी। वहीं कुछ लोग रवीश कुमार को ट्रोल करते हुए लिख रहे हैं कि जब अर्नब गोस्वामी पर कांग्रेस शासित राज्यों में एफआईआर हुई तब तो आपकी जुबान पर ताला लगा था।

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