दंतेवाड़ा। प्रेशर बम की चपेट में आकर घायल हो गईं बुजुर्ग को महिला कमांडो नक्सलियों के चंगुल से छुड़ा लाईं हैं। इतना ही नहीं वे उनको खाट पर लिटाकर आठ किलोमीटर तक पैदल भी चलीं हैं। ऐसे में उनको 12 घंटे बाद उपचार मिल सका। उधर, नक्सली वृद्धा को कई घरों में छिपाते रहे, मगर कामयाब नहीं हुए। दंतेवाड़ा जिले के कोरीपारा निवासी बुजुर्ग दंपती हुंगा और कोसी शुक्रवार सुबह बेटी के घर जाते समय तेलम पुजारीपारा के जंगल में नक्सलियों की ओर से लगाए गए प्रेशर बम की जद में आकर घायल हो गए थे।
घटनास्थल पर दोनों के नहीं मिलने और गांव भी नहीं पहुंचने पर उनको नक्सलियों द्वारा बंदी बना लिए जाने का अंदेशा जताया जा रहा था। नक्सली लिहाज से इलाका संवेदनशील होने के कारण पुलिस दंपती की तलाश में जंगल में नहीं घुस रही थी।इस बीच, शुक्रवार शाम छह बजे डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (डीआरजी) के 180 जवान तेलम टेटम होते हुए सूरनार के लिए निकले।
इनमें शामिल महिला कमांडो लक्ष्मी कश्यप और विमला मंडावी ने स्थानीय होने का फायदा उठाते हुए ग्रामीण महिलाओं से चर्चा कर उन्हें विश्वास में लिया और कोसी को खोज निकाला। इसके बाद उनको खाट पर लिटाकर ग्राम सूरनार से तुमकपाल तक करीब आठ किलोमीटर तक का पहाड़ी और जंगली रास्ता पैदल ही पार किया।
तुमकपाल से वृद्धा को एंबुलेंस से दंतेवाड़ा जिला अस्पताल पहुंचाया गया। डाक्टरों ने कोसी की हालत को खतरे से बाहर बताया है। बम विस्फोट में हुंगा को कम चोटें आई थीं, जबकि कोसी के पैर, सीने और चेहरे में छर्रे लगने से काफी जख्म हो गए थे।आत्मसमर्पित नक्सली हैं महिला कमांडो बुजुर्ग महिला को नक्सलियों से छुड़ाने वाली महिला कमांडो लक्ष्मी और विमला आत्मसमर्पित नक्सली हैं। उन्होंने ही दो दिन पहले एक बम को निष्क्रिय किया था, तब राज्यपाल अनुसुईया उइके और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उनकी जमकर तारीफ की थी।