जीएसटी क्षतिपूर्ति देने के स्थान पर राज्यों को ऋण लेने के लिए बाध्य न करें केंद्र सरकार : टी.एस. सिंहदेव

रायपुर। छत्तीसगढ़ के वाणिज्यिक कर मंत्री टी.एस. सिंहदेव ने सोमवार को केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को क्षतिपूर्ति राशि जारी करने के मुद्दे पर अन्य राज्यों के वित्त मंत्रियों और आर्थिक विशेषज्ञों से वीडियो कॉन्फ्रेंस से चर्चा की। वीडियो कॉन्फ्रेंस में मुख्य रूप से जीएसटी क्षतिपूर्ति एवं जीएसटी परिषद की कार्यशैली पर चर्चा की गई। सिंहदेव ने वीडियो कॉन्फ्रेंस में कहा कि केंद्र सरकार जिस तरह अपने निर्णयों से राज्य सरकारों को बाध्य कर रही है, वह अनुचित है। सभी करों का संकलन केंद्र सरकार द्वारा किए जाने के बाद भी राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति प्रदान करने के बदले कर्ज लेने के लिए बाध्य किया जा रहा है। चर्चा में पश्चिम बंगाल, ओड़िशा और पुदुचेरी के वित्त मंत्रियों सहित आर्थिक विशेषज्ञों ने भी हिस्सा लिया।
वाणिज्यिक कर मंत्री सिंहदेव ने केंद्रीय वित्त मंत्री के जीएसटी क्षतिपूर्ति के स्थान पर ऋण लेने के प्रस्ताव पर कहा कि जब राज्यों ने अपने कर लेने का अधिकार छोड़कर केंद्र पर विश्वास किया है तथा वर्तमान परिस्थिति में धन संचय केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है, तो ऋण का बोझ राज्यों पर नहीं डाला जाना चाहिए। केंद्र सरकार राज्यों पर दबाव डालने के बजाय अपने दायित्वों का निर्वहन कर जीएसटी क्षतिपूर्ति की राशि राज्यों को जारी करे।
सिंहदेव ने जीएसटी के नियमों की याद दिलाते हुए प्रश्न किया कि आज छत्तीसगढ़ को जितना समर्थन केंद्र से प्राप्त है, उससे अधिक छत्तीसगढ़ से केंद्र को जाता है, इसके बावजूद केंद्र सरकार का यह रवैया क्या लोकतांत्रिक है? बहुमत के आधार पर इस तरह की मनमानी करने से पहले केंद्र सरकार को सोचना चाहिए कि कल किसी और दल का बहुमत होगा एवं सत्ता उनके हाथ में होगी, क्या तब भी जीएसटी कॉउन्सिल इसी प्रकार कार्य करेगी?
सिंहदेव ने कहा कि जीएसटी कॉउन्सिल में एनडीए का बहुमत रहा है। उन्होंने इसका दुरुपयोग करते हुए राज्यों के मत को दरकिनार कर किसी भी अन्य दल का मत नहीं लिया गया। वोटिंग के माध्यम से उन्होंने अपने निर्णय को राज्यों पर थोपने का कार्य किया है। सिंहदेव ने कहा कि संघीय ढाँचे पर इस प्रकार का आघात करने वाली सरकार को यह समझना चाहिए कि लोकतंत्र इस प्रकार कार्य नहीं करता है। बल्कि इसमें सभी की आवाज सुनी जाती है। उन्होने चर्चा में शामिल सभी मंत्रियों एवं विशेषज्ञों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि जिन सभाओं में निर्णय पूर्व निर्धारित होते हैं एवं जहाँ हमारी आवाज नहीं सुनी जाती, उन सभाओं का हिस्सा बनना औचित्यहीन है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *