नई दिल्ली। संविधान के अनुच्छेद 243 जी का प्रयोजन आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के लिए स्थानीय नियोजन और योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए ग्यारहवीं अनुसूची में सूचीबद्ध सभी 29 विषयों के संबंध में राज्य सरकारों को शक्ति और अधिकार हस्तांतरित करने के लिए ग्राम पंचायतों (जीपी) को सशक्त बनाना है। स्थानीय निकाय (जीपी) ग्रामीण भारत के रूपांतरण के लिए राष्ट्रीय महत्व के विषयों पर प्रमुख योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन में उल्लेखनीय भूमिका निभाते हैं। 2015 में, 14वें वित आयोग के अनुदान जीपी को हस्तांतरित किए गए जिन्होंने उन्हें खुद अपने विकास के लिए योजना बनाने हेतु विशाल अवसर उपलब्ध कराया। तब से देश भर में स्थानीय निकायों से परिप्रेक्ष्य विशिष्ट, आवश्यकता आधारित ग्राम पंचायत विकास योजनाएं तैयार करने की अपेक्षा की जाती है। ग्राम पंचायत विकास योजनाएं (जीपीडीपी) नागरिकों एवं उनके निर्वाचित जनप्रतिनिधियों दोनों को ही विकेंद्रित प्रक्रियाओं में एक साथ लाता है। जीपीडीपी से विकास मुद्दों, महसूस की गई आवश्यकताओं तथा सीमांत तबकों के लोगों सहित समुदाय की प्राथमिकताओं को परिलक्षित किए जाने की अपेक्षा की जाती है। मूलभूत अवसंरचना एवं सेवाओं, संसाधन विकास तथा विभागीय योजनाओं के अंतःसंयोजन से संबंधित मांग के अतिरिक्त, जीपीडीपी में सामाजिक मुद्दों के समाधान की क्षमता है। नागरिक योजना अभियान (पीपीसी) के तहत देश भर में प्रत्येक वर्ष 2 अक्तूबर से 31 दिसंबर तक जीपीडीपी का संचालन किया जाता है। पिछले दो वर्षों के दौरान, पीपीसी दिशानिर्देशों एवं पंचायती राज मंत्रालय तथा ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से जारी परामर्शी ने स्वयं सहायता समूहों एवं दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) के तहत उनके संघों को वार्षिक जीपीडीपी नियोजन प्रक्रिया में भाग लेने एवं ग्राम निर्धनता न्यूनीकरण योजना (वीपीआरपी) तैयार करने के लिए अधिदेशित किया है। वीपीआरपी स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) नेटवर्क एवं उनके संघों द्वारा उनकी मांगों एवं स्थानीय क्षेत्र विकास, जिन्हें प्रकल्पित करने के लिए ग्राम पंचायत विकास योजनाओं (जीपीडीपी) के साथ समेकित किए जाने की आवश्यकता है, द्वारा तैयार एक व्यापक मांग योजना है। वीपीआरपी को प्रत्येक वर्ष अक्तूबर से दिसंबर तक ग्राम सभा बैठकों में प्रस्तुत किया जाता है। यह नियोजन प्रक्रिया डीएवाई-एनआरएलएम एवं स्थानीय स्व-सरकार संस्थानों (पंचायती राज संस्थानों) के बीच अभिसरण प्रयास का एक अंतरंग घटक है। पंचायती राज मंत्रालय तथा ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा 2018-19 एवं 2019-20 में वीपीआरपी एवं जीपीजीपी के साथ इसके समेकन की तैयारी पर सर्कुलर/परामर्शी जारी किए गए हैं। यह प्रक्रिया निर्धन परिवारों , जो डीएवाई-एनआरएलएम के तहत गठित एसएचजी के सदस्य होते हैं, को प्रतिभागी पद्धति में उनकी मांगों को उठाने तथा अंतिम योजना को विचार के लिए ग्राम पंचायतों को प्रस्तुत करने में सक्षम बनाती है। यह एसएचजी द्वारा तैयार, वीओ द्वारा संघटित तथा अंतिम रूप से ग्राम पंचायत स्तर पर तैयार एक व्यापक योजना के साथ आरंभ होती है। अंतिम वीपीआरपी जीपीडीपी के लिए आयोजित ग्राम सभाओं में प्रस्तुत किया जाएगा।