नई दिल्ली। डब्लूएचओ ने कहा है कि 12 साल से अधिक उम्र के बच्चों के लिए मास्क पहनना अनिवार्य है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा है कि कोरोना से बचने के लिए 12 साल और उससे ज्यादा उम्र के बच्चों को बड़े लोगों की तरह ही मास्क पहनना चाहिए। छह से 11 साल की उम्र के बच्चे खतरे के आधार पर मास्क पहन सकते हैं। डब्ल्यूएचओ की वेबसाइट पर 21 अगस्त को जारी एक पोस्ट में संगठन के साथ ही संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने कहा है कि जिन क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण का फैलाव ज्यादा हो और जहां एक मीटर की दूरी बनाए रखना संभव नहीं है, वहां 12 साल से बड़े बच्चों को मास्क पहनना चाहिए।
दोनों संगठनों ने कहा कि पांच साल और उससे कम उम्र के बच्चों के लिए, उनकी सेहत और हित को देखते हुए मास्क पहनना आवश्यक नहीं है। इनका कहना है कि कई अध्ययनों में यह सामने आया है कि कोरोना संक्रमण छोटे बच्चों की अपेक्षा बड़े बच्चों से फैल रहा है। हालांकि, कोरोना संक्रमण के प्रसार में बच्चों और बड़ों की भूमिका को बेहतर ढंग से समझने के लिए आंकड़ों का विस्तृत अध्ययन आवश्यक है।
बच्चों के जरिये तेजी से फैलता है कोरोना :
पेडियाट्रिक जर्नल में छपे एक नए शोध में दावा किया गया है कि बच्चों के जरिये वैश्विक महामारी कोविड-19 का संक्रमण बेहद तेजी से फैलता है। यानी बच्चे कोरोना वायरस के वह संवाहक हैं, जिनमें इनके लक्षण नजर नहीं आते हैं। इस शोध से यह स्पष्ट है कि नोवल कोरोना वायरस के सामुदायिक प्रसार में बच्चों की भूमिका अनुमान से कहीं अधिक है। यह शोध 192 नाबालिगों पर किया गया, जिनमें कोरोना से 49 बच्चे कोरोना से संक्रमित थे।
स्तनपान से नहीं होता कोविड-19 ; एक अन्य शोध में बताया गया है कि स्तनपान कराने से कोरोना के संक्रमण का प्रसार नहीं होता है। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के सैनडियागो स्कूल ऑफ मेडिसिन के इस शोध को जामा के ऑनलाइन संस्करण पर जारी किया गया है।