रायपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की तीन खंडपीठ गठित करने का विधानसभा में अशासकीय संकल्प लाने वाले बयान से अब कोंटा विधायक डॉ. रेणु जोगी ने यू-टर्न ले लिया है। यहां पर मुख्य बात यह है कि विधायक डॉ. रेणु जोगी की ओर से विधानसभा के आगामी सत्र में खण्डपीठ के लिए पूर्व पारित प्रस्ताव को अमलीजामा पहनाने अशासकीय प्रस्ताव पेश करने की जानकारी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के मीडिया प्रमुख इकबाल अहमद रिजवी से साझा की है। इसका भारी विरोध होने पर कोटा विधायक ने अपनी ओर से ऐसे किसी भी प्रस्ताव पर अनभिज्ञता जाहिर की है। उन्होंने कहा है कि उनकी जानकारी के बिना उनके कार्यालय से कैसे कोई प्रस्ताव विधानसभा सचिवालय चला गया उनको नहीं मालूम।
डॉ. जोगी की ओर से यह बयान आने के बाद बिलासपुर के अधिवक्ताओं में रोष फैल गया और उन्होंने इसका विरोध करने और हाईकोर्ट के किसी भी तरह के विखंडन के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दे दी। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट प्रैक्टिसिंग बार एसोसियेशन के पदाधिकारी संदीप दुबे, राजेश केशरवानी, गुरुदेव शरण, सलीम काजी आदि अधिवक्ताओं ने कहा कि डॉ. जोगी बिलासपुर की विधायक होने के बावजूद यहां के हितों के विपरीत ऐसा प्रस्ताव ला रही हैं। अभी तक यहां न्यायाधीशों के स्वीकृत पद ही नहीं भरे गये तथापि हाईकोर्ट का कार्य संतोषजनक है।
संदीप दुबे ने कहा कि पूर्व में बस्तर में खंडपीठ की मांग की गई थी, जिसे हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ अमान्य कर चुकी है। सरगुजा से हाईकोर्ट की दूरी मात्र पांच घंटे की तथा राजधानी रायपुर की डेढ़ घंटे की दूरी है। यदि हाईकोर्ट के विभाजन का कोई प्रयास किया गया तो अधिवक्ता इसके विरोध में आंदोलन करेंगे। राज्य निर्माण के समय बिलासपुर की मांग राजधानी की रही है और हाईकोर्ट के लिये सहमति बनी थी।
इसके बाद डॉ. रेणु जोगी ने कहा कि वे बीते कुछ दिनों से दिल्ली में हैं और ऐसा कोई प्रस्ताव उनके कार्यालय से विधानसभा में कैसे चला गया यह उनकी समझ से परे है।
इस पर अध्यक्ष हाईकोर्ट प्रैक्टिसिंग बार एशोसिएशन और प्रदेश कांग्रेस विधि के अध्यक्ष संदीप दुबे ने कहा कि अगर रेणु जोगी ने कोर्ट की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह उठाते हुए कहा कि अशासकीय संकल्प विधानसभा सचिवालय को नहीं भेजा तो उनका पत्र कैसे पहुंच गया। दुबे ने कहा यह कहना अत्यंत गंभीर मामला है। अगर रेणु जोगी के हस्ताक्षर से उनके कार्यालय से किसी ने उनके जानकारी के बैगर संकल्प विधानसभा में भेजा है, तो यह देश की विधायिका के लिए गंभीर मामला है। मामले की जांच एसआईटी गठन कर होनी चाहिए। संदीप दुबे ने विधानसभा अध्यक्ष से मामले की जांच की मांग की है।