नई दिल्ली। रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने कहा कि भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को प्रोत्साहन देने की दिशा में की गईं पहल के चलते भारतीय रक्षा एवं एयरोस्पेस उद्योग आज बदलाव की दहलीज पर है। वह आज यहां एयरोस्पेस एवं रक्षा विनिर्माण प्रौद्योगिकी पर हुए सम्मेलन के 5वें संस्करण के अवसर पर उद्घाटन भाषण दे रहे थे। इस सम्मेलन की विषय-वस्तु ‘आत्म निर्भरत भारत मिशन’ के साथ भारत को सशक्त बनाना है।
श्रीपद नाइक ने भारतीय एएंडडी उद्योग से रक्षा उत्पादन में देश को आत्मनिर्भर बनाने की अहम जिम्मेदारी अपने कंधों पर लेने और 2025 तक 26 अरब डॉलर के रक्षा उत्पादन को हासिल करने का आह्वान किया, जो रक्षा उत्पादन नीति के उद्देश्यों में शामिल है।
कोविड-19 के चलते पैदा हुई चुनौतियों पर बोलते हुए रक्षा राज्य मंत्री ने कहा, ‘कोविड के चलते दुनिया भर में गंभीर आर्थिक और सामाजिक चुनौतियां पैदा हुई हैं। पिछले चार महीने से राष्ट्रीय स्तर पर किए जा रहे प्रयासों में हम अपनी बड़ी जनसंख्या को व्यापक स्तर पर जागरूक करने, परीक्षण के लिए पर्याप्त क्षमता विकसित करने, स्वास्थ्य देखभाल उपलब्ध कराने और वायरस के प्रसार की दर के प्रबंधन में सफल रहे हैं।’
उन्होंने कहा कि अपने लोगों के जीवन की रक्षा के लिए कदम उठाए गए हैं और अब हम राष्ट्रीय प्रयास के अगले चरण में प्रवेश कर रहे हैं, जो आजीविका की रक्षा करना है। उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि उद्योग और अर्थव्यवस्था जल्द ही विकास की राह पर जोरदार वापसी करेंगे, जैसी स्थिति कोविड से पहले थी।
हाल के वर्षों में, रक्षा क्षेत्र तेजी से आगे बढ़ा है। यह 2008 से 2016 के बीच 9.7 प्रतिशत सीएजीआर के दर से बढ़ा है, जो वर्ष 2017-18 में 42.83 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच रहा है। भारत में एयरोस्पेस और रक्षा उद्योग 2030 तक 70 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। श्री श्रीपद नाइक ने कहा, “भारत के एयरोस्पेस और रक्षा बाजार में विकास की खासी संभावनाएं हैं और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी तथा अग्रणी हब के रूप में विकसित होने, डिजाइन विनिर्माण, इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी विकास वसेवाओं के सकल निर्यातक बनने के लिए इसके मूलभूत तत्व खासे मजबूत हैं।”
भारत का नागरिक उड्डयन बाजार हर साल पर्यटकों की संख्या में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ दुनिया के सबसे तेजी से उभरते बाजारों में से एक है और 2026 तक हवाई अड्डा आधारभूत ढांचे के विकास में लगभग 1.83 अरब डॉलर के निवेश की योजना के साथ इसका विकास आगे भी जारी रहने का अनुमान है। वैश्विक एयरक्राफ्ट रखरखाव, मरम्मत, ओवरहॉल (एमआरओ) के संबंध में रक्षा राज्य मंत्री ने कहा, “भारतीय बाजार का गति पकड़ना बाकी है। भारतीय एमआरओ बाजार अनुमानित रूप से 800 मिलियन डॉलर का है और यह 4 प्रतिशत के वैश्विक औसत की तुलना में सालाना आठ प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है।” भारत का नागरिक उड्डयन एमआरओ बाजार वर्तमान में लगभग 900 मिलियन डॉलर का है और इसके लगभग 14-15 प्रतिशत सीएजीआर के साथ 2025 तक 4.33 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
हाल के वर्षों में रक्षा मंत्रालय द्वारा किए गए प्रयासों के बारे में श्री श्रीपद नाइक ने कहा, “रक्षा उत्पादन विभाग ने आयुध कारखानों, सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा उपक्रमों (डीपीएसयू) के माध्यम से विभिन्न रक्षा उपकरणों के लिए विविध उत्पादन सुविधाओं की स्थापना की है और निजी रक्षा उद्योग को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।”
वेबिनार को तमिलनाडु डेवलपमेंट एंड प्रमोशन सेंटर (टीएनटीडीपीसी), सोसायटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स (एसआईडीएम) और भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग में सचिव और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के चेयरमैन डॉ. जी सतीश रेड्डी, प्रमुख सचिव/तमिलनाडु इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (टीआईडीसीओ), तमिलनाडु सरकार के चेयरपर्सन और प्रबंधन निदेशक ककारला ऊषा और सोसायटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चर्स (एसआईडीएम) के प्रेसिडेंट जयंत पाटिल भी इस अवसर पर उपस्थित रहे।