चीन को जवाब देने सेना तैयार
नईदिल्ली। लदाख में एलएसी पर भारत और चीन के बीच स्थिति शांतिपूर्ण होने के बजाय तनाव बढ़ता जा रहा है। एक रिपोर्ट की माने तो गलवान घाटी में भारतीय सेना सबसे खराब स्थिति से निपटने के लिए भी तैयार है और उसने गलवान में छह टी-90 मिसाइल फायरिंग टैंक और टॉप-ऑफ-द-लाइन शोल्डर एंटी टैंक तैनात कर किए हैं। हालांकि आज भारत और चीन के वरिष्ठ सैन्य कमांडर चुशूल में बैठक कर रहे हैं ताकि तनाव का समाधान निकाला जा सके।
रिपोर्ट के अनुसार चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) द्वारा बख्तरबंद कर्मियों की तैनाती और टेंट लगाने के बाद सेना द्वारा टी-90 भीष्म टैंक को तैनात करने का निर्णय लिया गया। भारतीय सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के अपने हिस्से के भीतर इस क्षेत्र में प्रमुख ऊंचाइयों पर कब्जा कर रही है।
155एमएम हॉवित्जर के साथ इन्फैंट्री लड़ाकू वाहनों को पूर्वी लद्दाख में 1597 किमी लंबी एलएसी के साथ तैनात किया गया है। चीन के किसी भी आक्रामक का जवाब देने के लिए चुशुल सेक्टर में दो टैंक रेजिमेंटों तैनात किए गए हैं। इस क्षेत्र से वापसी करने के लिए चीनी पीएलए सौदे पर उतर आई है। कहा गया है कि भारतीय सेना किसी भी आक्रमण का जवाब देने के लिए तैयार है। यह क्षेत्र बेहद ठंडा माना जाता है यहां पानी का तापमान शून्य डिग्री से नीचे रहता है।
1984 के बाद से भारतीय सेना को सियाचिन ग्लेशियर पर कब्जा करने और पाकिस्तान सेना को पीछे हटाने के लिए उच्च ऊंचाई वाले युद्ध के लिए प्रशिक्षित किया गया था। चीनी पीएलए वायु सेना के अधिकांश लड़ाकू विमान भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों का मुकाबला करने के लिए एलएसी से सतह से 240 किमी दूर तकलामकन रेगिस्तान में हॉटन एयर बेस से उड़ान भर रहे हैं।
एलएसी पर चीन के साथ बढ़ते तनाव के मद्देनजर भारतीय वायुसेना ने फ्रांस से राफेल लड़ाकू विमानों की डिलीवरी में तेजी लाने को कहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार फ्रांस भारत को राफेल की समयसीमा पर काम कर रहा है। भारत इस समय लद्दाख सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन के साथ तनाव की स्थिति में है। एक रिपोर्ट के अनुसार छह राफेल लड़ाकू विमानों के 27 जुलाई को अंबाला होम बेस पर उतरने की संभावना है।