युग कवि मुक्तिबोध संस्कृति के सूर्य के काले धब्बों को देख रहे थे

मुक्तिबोध की पुण्यतिथि पर प्रलेसं भिलाई-दुर्ग द्वारा आयोजित व्यख्यान समारोह सम्पन्न
भिलाई

छत्तीसगढ़ प्रगतिशील लेखक संघ की भिलाई दुर्ग इकाई के तत्वावधान में प्रख्यात कवि और आलोचक गजानन माधव मुक्तिबोध की पुण्यतिथि पर व्याख्यान का आयोजन कल्याण महाविद्यालय के सभागार में किया गया ।

कल्याण महाविद्यालय के हिंदी विभाग के सहयोग से आयोजित इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वक्ता वरिष्ठ आलोचक प्रो.सियाराम शर्मा व वरिष्ठ साहित्यकार रवि श्रीवास्तव थे । वरिष्ठ कथाकार डॉ.नलिनी श्रीवास्तव और महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो.आर.पी.अग्रवाल विशिष्ट अतिथि थे । इस वैचारिक आयोजन की अध्यक्षता वरिष्ठ कथाकार लोकबाबू ने की ।

इस अवसर पर अतिथि वक्ता प्रो.सियाराम शर्मा ने मुक्तिबोध को युग-कवि बताते हुए कहा कि मुक्तिबोध ने अपने समय व भविष्य की संभावनाओं को रचनाओं में व्यक्त किये हैं,वे बेचैन कवि थे उन्हें समाज की जो विसंगतियां परेशान करती थी उन्हें लिखते थे । वे संस्कृति के सूर्य के काले धब्बों को देख रहे थे संस्कृति को लेकर वे बहुत चिन्तित थे आज के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के भयावह दौर में हमें उनकी तरह संवेदनात्मक ज्ञान और ज्ञानात्मक संवेदना से वैचारिक चेतना जगाने की बहुत जरूरत है ।

वरिष्ठ साहित्यकार रवि श्रीवास्तव ने कहा वैज्ञानिक चेतना जगाने वाले मुक्तिबोध मात्र 48 साल की उम्र में चले गए ।नोबल पुरस्कार के हकदार मुक्तिबोध के नाम पर साहित्य के क्षेत्र में राज्य में कोई पुरस्कार तक नही हैं । साम्प्रदायिक ताकतों ने पाठ्यपुस्तकों से उनकी किताबों को हटवा कर प्रतिबंधित कर दिया ।अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कथाकार लोकबाबू ने कहा मुक्ति बोध आज के निर्मम दौर में अत्यधिक प्रासंगिक हैं, विपुल साहित्य रचने वाले मुक्तिबोध की कविताओं में अंधेरे के खिलाफ रोशनी दिखाई देती है ।

बाल्य काल में मुक्तिबोध के परिवार से जुड़े रहे वरिष्ठ कथाकार डॉ.नलिनी श्रीवास्तव ने संस्मरण के अंतर्गत अनेक प्रसंग सुनाते हुए कहा यथार्थ के कवि मुक्तिबोध कहा करते थे कि जिंदगी एक खेल है इसे खेलने की जरूरत है न की जिंदगी को हारने जीतने की दरकार है ।

कल्याण महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो.आर.पी.अग्रवाल ने कहा मुक्तिबोध अपने समय के अत्यंत सजग, चेतना सम्पन्न, मर्मज्ञ साहित्यकार थे ।कवि परमेश्वर वैष्णव ने कहा आज  भयावह अंधेरे का समय है ,ऐसे समय मुक्तिबोध की रचना “पार्टनर तुम्हारी पॉलिटिक्स क्या है?”समय और व्यक्ति की पहचान के लिए पड़ताल की पैनी दृष्टि देती है ।

कार्यक्रम के आरम्भ में इप्टा के प्रांतीय अध्यक्ष मणिमय मुखर्जी ने मुक्तिबोध की रचनाओं पर सांगीतिक सस्वर गायन की प्रस्तुति दी ।अतिथियों का स्वागत डॉ.सुधीर शर्मा,योगेंद शर्मा, छगन लाल सोनी,प्रो.अंजन कुमार,प्रो.फिरोजा जाफर अली,मुमताज,
प्रो.अशोक तिवारी, प्रदीप भट्टाचार्य, ने किया। इस महत्वपूर्ण व्याख्यान समारोह का संचालन प्रांतीय प्रलेसं महासचिव परमेश्वर वैष्णव, व प्रलेसं भिलाई-दुर्ग के सचिव विमल शंकर झा ने आभार व्यक्त किया ।

इस अवसर पर,डॉ. कोमल सिंह शारवा,डॉ. सुधीर शर्मा,राजेश श्रीवास्तव, विनोद साव,मुमताज,विनोद कुमार सोनी,दिलीप कुमार मारू,के.चन्द्र शेखर पिल्लई,योगेंद शर्मा, प्रदीप भट्टाचार्य,छगन लाल सोनी,प्रियंका यादव,डॉ. बीना सिंह रागी,प्रकाश चन्द्र मंडल,एन. एल.मौर्य,राजीव अग्रवाल,राम बरन कोरी,शिव मंगल सिंह,आदि अनेक साहित्यकार व प्राध्यापक व शोधार्थी छात्र छात्राएं उपस्थित थे ।