IRB इन्फ्रा का टोल संग्रह अगस्त में 24 % बढ़कर 417 करोड़ रुपये

नई दिल्ली
 आईआरबी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपर्स (आईआरबी इंफ्रा) लिमिटेड का टोल संग्रह अगस्त 2023 में 24 प्रतिशत बढ़कर 417.2 करोड़ रुपये रहा। कंपनी ने एक बयान में यह जानकारी दी। पिछले साल अगस्त में टोल संग्रह 336 करोड़ रुपये रहा था।

बयान के अनुसार, 13 टोल में से महाराष्ट्र के आईआरबी एमपी एक्सप्रेसवे प्राइवेट लिमिटेड का कुल राजस्व संग्रह में सबसे अधिक 141.1 करोड़ रुपये का योगदान रहा। मासिक आधार पर राजस्व संग्रह में 14 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। जुलाई 2023 में राजस्व संग्रह 365 करोड़ रुपये था।

आईआरबी इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपर्स लिमिटेड के उप मुख्य कार्यपालक अधिकारी अमिताभ मुरारका ने कहा, ”हमने हैदराबाद ओआरआर परियोजना जोड़ी है। आगामी त्योहारी सीजन के साथ-साथ गुजरात में सामाखियाली संतालपुर बीओटी परियोजना पर टोल संग्रह शुरू होने से राजस्व संग्रह बढ़ने की उम्मीद है।”

आईआरबी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपर्स (आईआरबी इंफ्रा) लिमिटेड ने हैदराबाद महानगर विकास प्राधिकरण (एचएमडीए) को 7,380 करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान करने की 12 अगस्त को घोषणा की थी। आईआरबी इंफ्रास्ट्रक्चर ने बयान में कहा था कि भुगतान के बाद उसकी विशेष उद्देश्यीय कंपनी (एसपीवी) आईआरबी गोलकुंडा एक्सप्रेसवे प्राइवेट लिमिटेड ने हैदराबाद ओआरआर के नाम से प्रसिद्ध जवाहरलाल नेहरू आउटर रिंग रोड (ओआरआर) पर टोल संग्रह शुरू कर दिया है।

भारतीय दवा उद्योग का राजस्व मौजूदा वित्तीय वर्ष में 8-10 प्रतिशत बढ़ेगा: क्रिसिल

नई दिल्ली
 चालू वित्त वर्ष 2023-24 में घरेलू वृद्धि तथा विनियमित बाजारों में निर्यात बढ़ने से भारतीय दवा उद्योग के राजस्व में आठ से 10 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है। भले ही अर्ध-विनियमित बाजारों को प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा हो। एक रिपोर्ट में यह बात कही गई।

घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने  कहा कि 186 दवा निर्माताओं के अध्ययन में यह बात सामने आई। यह आंकड़ा पिछले वित्त वर्ष में इस क्षेत्र के 3.7 लाख करोड़ रुपये के वार्षिक राजस्व का करीब आधा हिस्सा है।

क्रिसिल रिसर्च के निदेशक अनिकेत दानी ने कहा कि मौजूदा दवाओं और नई दवाओं के जारी करने से बिक्री भी तीन से चार प्रतिशत बढ़ेगी।

 

भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप गलियारे से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला ज्यादा लचीली बनेगी : ईईपीसी इंडिया

कोलकाता
‘भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारा’ एक क्रांतिकारी परियोजना साबित होगी और इससे वैश्विक कारोबार को भारी बढ़ावा मिलेगा। भारतीय इंजीनियरिंग निर्यात संवर्द्धन परिषद (ईईपीसी इंडिया) ने यह बात कही। प्रस्तावित ‘भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारा’ की घोषणा शनिवार को सम्पन्न हुए नई दिल्ली जी-20 शिखर सम्मेलन में की गई है।

ईईपीसी इंडिया के चेयरमैन अरुण कुमार गरोडिया ने कहा, ”इस गलियारे से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में और ज्यादा लचीलापन आएगा।” इस परियोजना का मकसद भारत को समुद्र तथा बंदरगाह के माध्यम से पश्चिम एशिया के जरिए यूरोप से जोड़ना है।

गरोडिया ने एक बयान में कहा कि यह महाद्वीपों में वस्तुओं तथा सेवाओं की आवाजाही को एक नई परिभाषा देगा क्योंकि इससे रसद लागत में कमी आएगी और माल की त्वरित आपूर्ति सुनिश्चित होगी। उन्होंने कहा कि भारत के इंजीनियरिंग निर्यात क्षेत्र के लिए पश्चिम एशिया तथा यूरोप दोनों प्रमुख बाजार हैं। इस स्तर का परिवहन बुनियादी ढांचा होने से वैश्विक स्तर पर इसकी प्रतिस्पर्धात्मकता में काफी वृद्धि होगी।

गरोडिया ने कहा कि परिवर्तनकारी परियोजना में निवेश से आर्थिक गतिविधियों को काफी बढ़ावा मिलेगा, नौकरियों का सृजन होगा और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कार्बन उत्सर्जन को कम करने में मदद मिलेगी। भारत ने अमेरिका तथा कई प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के साथ नौ सितंबर को महत्वाकांक्षी आर्थिक गलियारे की घोषणा की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संपर्क पहल को बढ़ावा देते हुए सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान पर जोर दिया।

जी-20 शिखर सम्मेलन से इतर अमेरिका, भारत, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूरोपीय संघ के नेताओं ने नए आर्थिक गलियारे की संयुक्त रूप से घोषणा की। इसे कई लोग चीन की ‘बेल्ट एंड रोड’ पहल के विकल्प के रूप में देख रहे हैं।