नई दिल्ली
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में जी-20 बैठक से पहले समाचार एजेंसी को एक विस्तृत साक्षात्कार दिया है. दुनिया की शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं के संगठन जी-20 का शिखर सम्मेलन 9-10 सितंबर को दिल्ली में होगा.
प्रधानमंत्री ने भारत में जी-20 शिखर सम्मेलन के आयोजन के मक़सद, अफ़्रीकी यूनियन को जी-20 में शामिल किए जाने के प्रस्ताव, वैश्विक पटल पर संयुक्त राष्ट्र की भूमिका, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की दावेदारी, बायोफ्यूल, जलवायु परिवर्तन को लेकर क़दम उठाने की ज़रूरत, वैश्विक क़र्ज़ संकट, केंद्रीय बैंकों की नीतियों, भारत की अर्थव्यवस्था के जर्मनी और जापान से आगे निकल जाने, चरमपंथ, अरुणाचल प्रदेश और कश्मीर के मुद्दे पर बात की.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारत के जी-20 की अध्यक्षता करने का ग़हरा प्रभाव हुआ है. मोदी ने कहा, “भारत की जी-20 अध्यक्षता के कई सकारात्मक प्रभाव हुए हैं. इनमें से कई मेरे दिल के बहुत क़रीब हैं.”
मोदी ने कहा कि भारत की जी-20 अध्यक्षता ने इसे विचारों के एक प्लेटफॉर्म से भविष्य का रोडमैप देने वाले प्लेटफॉर्म में बदल दिया है और वैश्विक सहयोग का एक मंच तैयार किया है.
उन्होंने कहा कि ये दुनिया के एजेंडे को शक्ल देने का एक बड़ा मौक़ा है. प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी ने बदलते वैश्विक दृष्टिकोण के मानवीय मूल्यों आधारित दुनिया की तरफ़ बढ़ने पर भी ज़ोर दिया.
उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया का पारंपरिक जीडीपी-केंद्रित दृष्टिकोण अधिक समावेशी और मानव-केंद्रित दृष्टिकोण की ओर बढ़ रहा है और इस बदलाव में, “भारत उत्प्रेरक की भूमिका निभा रहा है.”
उन्होंने भारत सरकार के चर्चित नारे ‘सबका साथ, सबका विकास’ का ज़िक्र करते हुए कहा कि भारत वैश्विक पटल पर भी इसे लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा, ‘दुनिया के कल्याण और विकास के लिए यह मार्गदर्शक की भूमिका भी निभा सकता है.’
2047 तक विकसित होगा भारत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बन जाएगा. उन्होंने कहा, “भ्रष्टाचार, जातिवाद और सांप्रदायिकता की हमारे राष्ट्रीय जीवन में कोई जगह नहीं होगी.”
जी-20 में भारत की भूमिका और उसके महत्व को रेखांकित करते हुए मोदी ने कहा, “जी-20 में हमारे शब्दों और दृष्टिकोण को दुनिया भविष्य के रोडमैप के रूप में देखती है, न कि केवल विचारों के रूप में.”
प्रधानमंत्री मोदी ने ये भी कहा कि भारत को अब भूखे पेट नहीं बल्कि काम करने वाले हाथों के देश के रूप में देखा जाता है.
मोदी ने कहा, “बहुत लंबे समय से, भारत को सौ करोड़ भूखे पेटों के देश के रूप में देखा जाता था, लेकिन अब ये सौ करोड़ महत्वाकांक्षी मस्तिष्कों और दो सौ करोड़ कुशल हाथों का देश है. ”
वैश्विक मंच पर भारत का उभार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के लोगों के पास मौजूद अनूठे मौक़ों के बारे में भी बात की और कहा कि भारत के लोगों के पास आज आगे बढ़ने के अधिक मौक़े मौजूद हैं.
उन्होंने कहा, “भारत के लोगों के पास आज विकास की नींव रखने का ऐसा महान अवसर मौजूद है जिसे एक हज़ार साल बाद भी याद किया जाएगा.”
मोदी ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि भारत जल्द ही विश्व की तीन अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो जाएगा.
उन्होंने कहा कि एक दशक के भीतर ही भारत पांच पायदानों की छलांग लगाते हुए शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो गया है.
उन्होंने कहा, “भारत की आर्थिक प्रगति को नकारा नहीं जा सकता और यह दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति बनने की राह पर है.”
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कूटनीति और बातचीत के महत्व पर ज़ोर देते हुए कहा, “संवाद और कूटनीति विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न संघर्षों को हल करने के तरीके हैं.”