नईदिल्ली। कोरोना वायरस के कारण सैकड़ों मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां चीन छोड़कर अपने लिए नए ठिकाने की तलाश कर रही हैं। कुछ रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग 1000 कंपनियां भारत में अपना यूनिट लगाने के लिए सरकार से संपर्क में हैं। भारत इस मौके को जाने नहीं देना चाहता है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय उस सेक्टर की पहचान करने में जुटा है, जिसमें भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाया जा सके।
इसके लिए पूंजीगत सामान, चमड़ा और रसायन जैसे कुछ प्रमुख क्षेत्रों की संभावनाओं की पहचान की जा रही है। दरअसल सरकार इस बात को भलीभांति जानती है कि अगर समय रहते इन कंपनियों के लिए उचित प्रबंध नहीं किए जाते हैं तो भारत के अलावा मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड और वियतनाम जैसे देश भी हैं जो इन कंपनियों को आकर्षित करने की रेस में हैं।
सूत्रों के अनुसार, जिन क्षेत्रों में वैश्विक स्तर पर अग्रणी बनने तथा देश को विनिर्माण का गढ़ बनाने की क्षमता है, उनकी पहचान करने के लिये उद्योग मंडलों सहित विभिन्न संबंधित पक्षों के साथ कई बैठकें हुई हैं। एक सूत्र ने बताया, 12 ऐसे अग्रणी क्षेत्र हैं, जिन पर ध्यान दिया जा सकता है। इनमें मॉड्यूलर फर्नीचर, खिलौने, खाद्य प्रसंस्करण (जैसे रेडी टू ईट फूड), कृषि-रसायन, वस्त्र (जैसे मानव निर्मित सूत), एयर कंडीशनर, पूंजीगत सामान, दवा और वाहन कल-पुर्जा शामिल हैं।