नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न् देशों की पुलिस के बीच समन्वय करने वाली संस्था इंटरपोल के 2022 में होने वाले 91वें सम्मेलन की मेजबानी भारत को मिल गई है। पहले इस सम्मलेन की मेजबानी इंग्लैंड को करना थी। पाकिस्तान के पुरजोर विरोध के बावजूद भारत को यह अवसर मिला है। 126 देशों ने इंग्लैंड को 2023 में मेजबानी का मौका देने के प्रस्ताव पर भी सहमति दी। 126 सदस्य देशों में से भारत को 124 का साथ मिलने से पाकिस्तान ने फिर मुंह की खाई।हाल ही में इंटरपोल का 88वां सम्मेलन चिली में हुआ, जिसमें मध्य प्रदेश कैडर के दो शीर्ष अधिकारी सीबीआई निदेशक ऋषिकुमार शुक्ला व मप्र के डीजीपी विजय कुमार सिंह शामिल हुए। दो अन्य अधिकारियों में दिल्ली के पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक व सीबीआई एसपी विजेंद्र बिदरी शामिल थे। बताया जाता है कि भारत ने अपनी आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के यादगार वर्ष में इस सम्मेलन की मेजबानी का प्रस्ताव रखा था।भारत के प्रस्ताव पर सम्मेलन में उपस्थित 126 देशों के प्रतिनिधियों ने मतदान किया। इनमें से दो देशों पाकिस्तान और अजरबेजान ने विरोध किया, लेकिन अन्य सभी 124 देशों ने अपनी सहमति दी। प्रस्ताव को समर्थन नहीं मिलने पर पाकिस्तान को फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर मुंह की खानी पड़ी। गौरतलब है कि 2022 के सम्मेलन का पूर्व में मेजबान इंग्लैंड को बनाया गया था, लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की भावना के अनुरूप सीबीआई निदेशक शुक्ला ने चिली सम्मेलन में भारत में आयोजन का प्रस्ताव रखा था।इंटरपोल के यूरोपीय देशों के साथ भारतीय पुलिस अधिकारियों की अलग-अलग मुलाकात हुई। इसमें अमेरिका व इंग्लैंड ने भारत के साथ कई नीति समस्याओं पर अपनी तरफ से सहयोग का आश्वासन दिया। इसमें अपराध कर भागे विजय माल्या-ललित मोदी जैसे अपराधियों से लेकर सायबर क्राइम के प्रकरणों में यूरोप में बैठकर अपराध करने वाले अपराधियों को लेकर चर्चा हुई। यूरोपीय देशों ने हर तरह के अपराध में भारतीय पुलिस की मदद का आश्वासन दिया। इसी तरह भारतीय पुलिस के साथ इस अंतरराष्ट्रीय मंच पर भूटान और नेपाल पुलिस को चर्चा करना थी, जिसके लिए भारतीय पुलिस अधिकारियों ने उन्हें समय दिया। इन पड़ोसी देशों ने भी भारत से अपने यहां होने वाले अपराधों व आरोपितों के भारत में छिप जाने के मामलों से विवेचना में होने वाली परेशानियों को साझा किया।