संवैधानिक मूल्‍यों के प्रति जागरूकता और आत्‍म बोध विकसित करने की पहल

मध्‍य प्रदेश के 14 पत्रकारों को ‘संविधान संवाद फैलोशिप’  

भोपाल

संवैधानिक मूल्‍यों के प्रति जागरूकता और बोध विकसित करने के उद्देश्‍य से मध्‍य प्रदेश के 14 पत्रकारों को ‘संविधान संवाद फैलोशिप 2023’ प्रदान की गई है। विभिन्‍न क्षेत्रों, मीडिया संस्‍थानों और अनुभव वाले ये 14 पत्रकार इस फैलोशिप के दौरान संवैधानिक मूल्‍यों पर संवाद, व्‍यवहारिक पहल, पैरवी और संविधान के प्रति अपना बोध विकसित करने की दिशा में कार्य करेंगे।

एक सामाजिक विकास, शोध, दस्तावेजीकरण और संवाद समूह के रूप में कार्यरत संस्‍थान ‘विकास संवाद’ ने यह फैलोशिप प्रदान की है। फैलोशिप के लिए प्रदेश के विभिन्‍न क्षेत्रों से प्राप्‍त एवं आमंत्रित आवेदनों में से विषय विशेषज्ञों की जूरी तथा संवाद प्रक्रिया उपरांत 15 पत्रकारों का चयन किया गया। विषय विशेषज्ञों की जूरी के सदस्‍य मप्र के वरिष्‍ठ पत्रकार-संपादक सर्वचंद्रकांत नायडू, एनके सिंह, राजेश बादल, सुश्रावणी सरकार और सुनील कुमार गुप्‍ता ने आवेदकों के अवधारणा नोट तथा उनके अनुभव, संवैधानिक मूल्‍यों के प्रति समझ और इस दिशा में अब तक किए गए कार्यों के आधार पर फैलोशिप के लिए पत्रकारों का चयन किया है।

एक वर्ष की ‘संविधान संवाद फैलोशिप 2023’ के लिए प्रदेश के वरिष्‍ठ पत्रकार देशदीप सक्‍सेना (भोपाल) और जयपिंगले (इंदौर) को वरिष्‍ठतम श्रेणी में फैलोशिप के लिए आमंत्रित किया गया है। ये अपने पत्रकारिता में अपने सुदीर्घ अनुभव के आधार पर संवैधानिक मूल्‍यों के प्रति सक्रिय समाज तैयार करने में सहायता करेंगे।

वरिष्‍ठ पत्रकार श्रेणी में फैजान खान (स्‍वतंत्र पत्रकार, भोपाल), मंसूर नकवी (चीफ कार्टूनिस्‍ट, दैनिक भास्‍कर, भोपाल), डॉ. मनीष जैसल (स्‍तंभकार/मीडिया शिक्षक, ग्‍वालियर), डॉ. नारायण सिंह परमान (स्‍वतंत्र पत्रकार, छतरपुर), सौरभ जैन (स्‍तंभकार/व्‍यंग्‍यकार, उज्‍जैन), सारंग उपाध्‍याय (उप समाचार संपादक, उमर उजाला, भोपाल) तथा वंदना तोमर (वरिष्‍ठ पत्रकार, हिंदी मेल, सागर) का चयन किया गया है।

युवा पत्रकार श्रेणी में प्रणय त्रिपाठी (स्‍वतंत्र पत्रकार, देवास), ऋषव राज सिंह (प्रतिनिधि, हमसमवेत, भोपाल), सतीश मालवीय (स्‍वतंत्र पत्रकार, विदिशा), शिशिर अग्रवाल (विशेष संवाददाता, ग्राउंड रिपोर्ट, सतना) और शिवांगी सक्‍सेना (विशेष प्रतिनिधि, दैनिक भास्‍कर, भोपाल) का चयन हुआ है।

विकास संवाद के निदेशक एवं सचिव सचिन जैन ने यह जानकारी देते हुए बताया कि भारत के संविधान की प्रस्तावना में निहित है कि, संविधान की स्थापना का मूल उद्देश्य सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक न्याय, प्रतिष्ठा, अवसर की समानता तथा स्‍वतंत्रता प्रदान करना है। मगर यह तथ्‍य भी किसी से छिपा नहीं है कि समान न्‍याय व्‍यवस्‍था, समानता, स्‍वतंत्रता जैसे संवैधानिक मूल्‍यों का क्रियान्वयन होने में अब भी कई पड़ाव शेष हैं। संवैधानिक मूल्‍यों के प्रति सजगता हमारे आम क्रियाकलापों में शामिल नहीं होती है। इस अंतर को पाटने के लिए सक्रिय संवेदनशील पत्रकारों के समूह की भी आवश्यकता महसूस की गई है जो कि वंचित एवं शोषित वर्गों के हक की आवाज को बुलंद कर सकें। उनके संवैधानिक मूल्‍यों के प्रति अधिक संवेदनशील हो सके। संवैधानिक मूल्‍य क्‍या हैं यह जानेंगे और इन्‍हें समझेंगे तो संविधान को सर्वोच्‍च दर्जा देने के लिए समाज को प्रेरित कर पाएंगे। यह फैलोशिप संवैधानिक मूल्यों पर सोचने, समझने, संवाद करने, सीखने-समझने के लिए दो तरफ़ा प्रक्रिया होगी, जिसमें फेलो पत्रकार साझा तरीके से संवैधानिक मूल्‍यों के प्रति चेतना और अपना कथानक विकसित कर पाएंगे।