भोपाल। शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार रात 9 बजे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। चौहान प्रदेश के इतिहास में ऐसे पहले नेता हैं, जो चौथी बार मुख्यमंत्री बने हैं। राजभवन में हुए एक सादा समारोह में राज्यपाल लालजी टंडन ने उन्हें प्रदेश के 19वें मुख्यमंत्री के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण कार्यक्रम का संचालन मुख्य सचिव एम.गोपाल रेड्डी ने किया।
शपथ ग्रहण समारोह में पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ एवं सुश्री उमा भारती, भारतीय जनता पार्टी के विधायक एवं अधिकारीगण उपस्थित थे। मध्य प्रदेश में भाजपा ने 15 साल अपनी सत्ता चलाई थी, उसके बाद बीच में 15 महीने कांग्रेस की सरकार रहने के बाद फिर भाजपा की सरकार एक बार यहां आ गई है। इससे पहले शिवराज 2003, 2008 और 2013 में मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उनके मुख्यमंत्री बनने पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सहित अनेक नेताओं ने उन्हें बधाई दी है। कमलनाथ ने कहा कि प्रदेश के 19वें मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज सिंह चौहान के शपथ लेने पर मैं उन्हें बधाई देता हूं। साथ ही उम्मीद करता हूं कि कांग्रेस सरकार द्वारा विगत 15 माह में शुरू किये गये जनहितैषी कार्यों, निर्णयों व योजनाओं को प्रदेशहित में वे आगे बढ़ाएंगे। वहीं शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हम सब मिलकर प्रदेश को नम्बर एक का राज्य बनाएंगे। हमारे सामने आज चुनौतियां बहुत हैं, जिनका हम सभी को मिलकर मुकाबला करना है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का जन्म 5 मार्च, 1959 को हुआ। पिता का नाम प्रेमसिंह चौहान है और माता का नाम श्रीमती सुंदरबाई चौहान है। वर्ष 1992 में साधना सिंह के साथ शिवराज सिंह चौहान का विवाह हुआ और उन्होंने स्नातकोत्तर (दर्शनशास्त्र) तक स्वर्ण पदक के साथ शिक्षा प्राप्त की है। सन् 1975 में मॉडल हायर सेकेण्डरी स्कूल के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे। आपात काल के विरोध करने पर 1976-77 में भोपाल जेल में निरुद्ध रहे। अनेक जन समस्याओं के समाधान के लिए आंदोलन और जेल यात्राएं की हैं। सन् 1977 से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक हैं।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद एवं शिवराज सिंह चौहान:
मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में नर्मदा नदी के किनारे जैत नाम के छोटे से गांव के किसान परिवार में जन्मे शिवराज की कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं रही है, लेकिन जब वे विद्यार्थी परिषद के संपर्क में आए तो छात्र राजनीति करने लगे। सबसे पहले वे गरीब मजदूरों की हक में लड़ाई लडऩे के लिए अपने परिवार के विरोध में गए। यहीं से समझिए कि उनके आन्दोलन का सफर का प्रारंभ हो गया और उनके इस एक कदम ने तय कर दिया कि वे भविष्य में एक सफल राजनेता बनकर उभरेंगे और ऐसा समय के साथ हुआ भी। आज वे एक सफल राजनेता हैं। सन् 1977-78 में अखिल भारतीय विधार्थी परिषद के संगठन मंत्री रहे। सन् 1978 से 1980 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के मध्य प्रदेश के संयुक्त मंत्री रहे। सन् 1980 से 1982 तक अखिल भारतीय विधार्थी परिषद के प्रदेश महासचिव, 1982-83 में परिषद की राष्ट्रीय कार्यकारणी के सदस्य, 1984-85 में भारतीय जनता युवा मोर्चा, मध्य प्रदेश के संयुक्त सचिव, 1985 से 1988 तक महासचिव तथा 1988 से 1991 तक युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहे।
पहली बार विधायक बने:
चौहान 1990 में पहली बार बुधनी विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने। वे 1991 में विदिशा संसदीय क्षेत्र से पहली बार सांसद बने। चौहान 1991-92 मे अखिल भारतीय केसरिया वाहिनी के संयोजक तथा 1992 में अखिल भारतीय जनता युवा मोर्चा के महासचिव बने। सन् 1992 से 1994 तक भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महासचिव रहे। सन् 1992 से 1996 तक मानव संसाधन विकास मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति, 1993 से 1996 तक श्रम और कल्याण समिति तथा 1994 से 1996 तक हिन्दी सलाहकार समिति के सदस्य रहे।
जब पहुंचे लोकसभा:
चौहान 11वीं लोकसभा में वर्ष 1996 में विदिशा संसदीय क्षेत्र से सांसद चुने गये। सांसद के रूप में 1996-97 में नगरीय एवं ग्रामीण विकास समिति, मानव संसाधन विकास विभाग की परामर्शदात्री समिति तथा नगरीय एवं ग्रामीण विकास समिति के सदस्य रहे। चौहान वर्ष 1998 में विदिशा संसदीय क्षेत्र से ही तीसरी बार 12वीं लोकसभा के लिए सांसद चुने गये। वह 1998-99 में प्राक्कलन समिति के सदस्य रहे। चौहान वर्ष 1999 में विदिशा से चौथी बार 13वीं लोकसभा के लिये सांसद निर्वाचित हुए। वे 1999-2000 में कृषि समिति के सदस्य तथा वर्ष 1999-2001 में सार्वजनिक उपक्रम समिति के सदस्य रहे।
सन् 2000 से 2003 तक भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। इस दौरान वे सदन समिति (लोक सभा) के अध्यक्ष तथा भाजपा के राष्ट्रीय सचिव रहे। चौहान 2000 से 2004 तक संचार मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति के सदस्य रहे। शिवराज सिंह चौहान पाँचवीं बार विदिशा से 14वीं लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। वर्ष 2004 में कृषि समिति, लाभ के पदों के विषय में गठित संयुक्त समिति के सदस्य, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव, भाजपा संसदीय बोर्ड के सचिव, केन्द्रीय चुनाव समिति के सचिव तथा नैतिकता विषय पर गठित समिति के सदस्य और लोकसभा की आवास समिति के अध्यक्ष रहे। चौहान वर्ष 2005 में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किये गये।
पहली बार बने थे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री:
चौहान 29 नवम्बर, 2005 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। प्रदेश की तेरहवीं विधानसभा के निर्वाचन में चौहान ने भारतीय जनता पार्टी के स्टार प्रचारक की भूमिका का बखूबी निर्वहन कर विजयश्री प्राप्त की। चौहान को 10 दिसम्बर, 2008 को भारतीय जनता पार्टी के 143 सदस्यीय विधायक दल ने सर्वसम्मति से नेता चुना। चौहान ने 12 दिसम्बर, 2008 को भोपाल के जम्बूरी मैदान में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद और गोपनीयता की शपथ ग्रहण की। प्रदेश की चौदहवीं विधानसभा के निर्वाचन में भी चौहान के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने प्रचंड जीत हासिल की। चौहान को 165 सदस्यीय भारतीय जनता पार्टी के विधायक दल ने तीसरी बार सर्वसम्मति से अपना नेता चुना। चौहान ने 14 दिसम्बर, 2013 को भोपाल के जम्बूरी मैदान में लगातार तीसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। चौहान 16 दिसंबर, 2018 तक मुख्यमंत्री रहे। शिवराज सिंह चौहान दिसंबर 2018 के विधानसभा निर्वाचन में बुधनी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए। इसके बाद आज सोमवार को फिर एक बार चौहान ने प्रदेश के 19वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की है।