छत्तीसगढ़ में आज से खुल गए स्कूल, सीएम बघेल ने तिलक लगा और मिठाई खिलाकर छात्रों का किया स्वागत

 रायपुर .

छत्तीसगढ़ के स्कूलों में आज से बच्चों की गूंज सुनाई देगी। आज से नए शिक्षा सत्र और शाला प्रवेश उत्सव की शुरुआत हो रही है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल रायपुर के जेएन पाण्डेय स्कूल में आयोजित प्रवेश उत्सव में पहुंच गए हैं। उन्होंने बच्चों को तिलक लगाया इसके बाद माला पहनाकर मिठाई खिलाते हुए स्कूल में प्रवेश कराया। इस बीच अपने हाथ से बच्चों को ड्रेस भी वितरित किए।

भूपेश बघेल ने कहा, पिछले वर्ष राज्य में 5173 बालवाड़ियां शुरू की गई थी। इस साल 4318 बालवाड़ियां और खोली जा रही हैं। अब इनकी संख्या बढ़कर 9491 हो जाएगी। इन जगहों पर स्थानीय बोली में बच्चे पढ़ेंगे। भूपेश बघेल ने सभी जनप्रतिनिधियों से अनुरोध किया है कि नजदीक के विद्यालय में जाकर बच्चों का मनोबल बढ़ाएं और शिक्षकों के साथ शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता को सुधारने में लगातार सहयोग भी करें।

छत्तीसगढ़ में नए शिक्षा सत्र की शुरुआत 16 जून से होती है, लेकिन गर्मी अधिक होने के कारण सरकार ने ग्रीष्मकालीन अवकाश 25 जून कर दी थी। छत्तीसगढ़ के सभी सरकारी स्कूलों में शाला प्रवेशोत्सव मनाया जाएगा। इसके लिए स्कूल शिक्षा विभाग की तरफ से पहले ही गाइडलाइन जारी कर दी गई थी। एक महीने तक चलने वाले शाला प्रवेशोत्सव के लिए स्कूल शिक्षा विभाग शुरुआती 10 दिनों के लिए जनभागीदारी के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित करने के लिए निर्देशित किया है। 10 दिन के कार्यक्रमों का पूरा शेड्यूल जारी किया गया है।

किताब, कापी, गणवेश पहुंचे

पहली बार शाला प्रवेशोत्सव के साथ ही छात्रों को कापी, किताब और ड्रेस दी जाएगी। स्कूलों में छात्रों की संख्या के आधार पर पहले ही कापी, किताब और ड्रेस भेज दी गई है। स्कूल प्रबंधन स्थानीय स्तर पर शाला प्रवेशोत्सव मनाएंगे। हर स्कूलों में नए प्रवेश लेने वाले छात्रों का तिलक लगाकर और मिठाई खिलाकर स्वागत किया जाएगा। अलग-अलग स्कूलों में क्षेत्रीय विधायक, पार्षद शाला प्रवेशोत्सव में हिस्सा लेंगे।

इस तरह चलेगा 10 दिन उत्सव

पहला दिन: बच्चों का स्वागत, सुविधाओं का वितरण और संदेश वाचन होगा।

दूसरा दिन: युवाओं, माताओं, सेवानिवृत्त व्यक्तियों की बैठक, प्रभातफेरी, घर-घर संपर्क कार्यक्रम, नुक्कड़ नाटक का अभ्यास आदि।

तीसरा दिन: अप्रवेशी, प्रवेश योग्य बच्चे और अनियमित उपस्थिति वाले बच्चे हैं तो उन्हें शाला में प्रवेश दिलवाते हुए नियमित शाला आने के लिए आवश्यक वातावरण तैयार करना।

चौथा दिन: बच्चों को रोजगार के अवसर से परिचित करवाना, आसपास का भ्रमण कराना, ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़’ नामक पुस्तक बच्चों उपलब्ध कराना।

पांचवां दिन: बच्चों को साधारण गणित के सवाल देकर बनाने का अभ्यास करवाया जाएगा।

छठवां दिन: खेलगढ़िया के अंतर्गत खेल सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी।

सातवां दिन: स्कूलों में संचालित मुस्कान पुस्तकालय से बच्चों को अपनी इच्छा से पुस्तकें लेकर उन्हें पढ़ने, समझने और जोड़ी में पढ़ी गई पुस्तकों पर आपस में चर्चा करने के अवसर देना।

आठवां दिन: आसपास के समुदाय के बड़े-बुजुर्गों को किसी एक स्थल में आमंत्रित कर बच्चों के छोटे-छोटे समूह में कहानी सुनाने का अवसर देना आदि।

नौवां दिन: समुदाय में बोले जाने वाली प्रचलित स्थानीय बोली- भाषा में सामग्री तैयार करने के लिए आवश्यक प्रक्रियाएं अपनाना। बड़े-बुजुगों द्वारा सुनाई गई कहानियों और प्रचलित कहानियों पर स्थानीय भाषा में कहानी पुस्तकें तैयार कर प्रत्येक स्कूल के पुस्तकालय में रखवाएं।

दसवां दिन: अवकाश के अवसर पर अधिक से अधिक समुदाय के सदस्यों को पहले से आमंत्रित करते हुए कम से कम आधे दिन का कार्यक्रम आयोजित किया जाना।